Dehradun

डीजीपी अभिनव कुमार का बयान: छह महीनों में पुलिस की अधिकांश होगी भर्तियां, वेटिंग लिस्ट से मिलेगा बेरोजगार युवाओ को फायदा।

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देहरादून – इस साल के शुरुआती छह महीनों में पुलिस की अधिकांश भर्तियां कराई जाएंगी। इसके साथ ही विभागीय पदोन्नतियों को भी समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से किया जाएगा। यह जानकारी मंगलवार को डीजीपी अभिनव कुमार ने पटेल भवन में पत्रकारों को दीं। उन्होनें पुराने साल की उपलब्धियों को गिनाने के साथ ही इस साल के लक्ष्य को भी निर्धारित किया।

डीजीपी अभिनव कुमार ने कहा कि इस साल कोशिश रहेगी कि पुलिस हर मानदंडों के आधार पर देश की टॉप पांच पुलिस में शामिल होगी। कहा कि उत्तराखंड पुलिस लूट चोरी आदि घटनाओं के खुलासे में देश के पहले नंबर पर है। रिकवरी में भी पुलिस का औसत देश में सबसे ज्यादा है।

उत्तराखंड पुलिस को अन्य क्षेत्रों में भी देश की बेहतरीन पुलिस में शामिल करने का लक्ष्य इस बार रखा गया है। उन्होंने शांति एवं कानून व्यवस्था, घटनाओं के खुलासे आदि के लिए तकनीकी प्रशिक्षण पर भी जोर दिया।

कहा, आने वाले समय में प्रमुख कानूनों में बदलाव होने जा रहा है। इसके लिए भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार ट्रेनिंग शुरू की जाएगी। अधिकारियों और कर्मचारियों को इन कानूनों के बारे में विस्तृत जानकारी देकर प्रशिक्षित किया जाएगा।

उन्होंने इस साल की चुनौतियों का भी जिक्र किया। कहा, चारधाम यात्रा, कांवड़ यात्रा, लोक सभा चुनाव, आपदा प्रबंधन और अगले साल होने वाले राष्ट्रीय खेल पुलिस के लिए चुनौती रहेंगी। लेकिन, जिस तरह से पिछले साल जी20 के एक के बाद एक तीन आयोजन कराए हैं उस तरह से पुलिस अधिकारियों के नेतृत्व में इन सब चुनौतियों से भी कुशलता से निपटा जाएगा। कुमाऊं क्षेत्र में मानसखंड विकसित होने जा रहा है। ऐसे में इस क्षेत्र विशेष और कुमाऊं क्षेत्र में आपदाओं से निपटने के लिए वहां अलग से एसडीआरएफ की बटालियन शुरू करने का प्रयास किया जाएगा।

डीजीपी ने कहा कि पिछले दिनों कांस्टेबल और दरोगा भर्ती का प्रस्ताव भेजा गया था। लेकिन, अब नई व्यवस्था के आधार पर इसे दोबारा भेजा जाएगा। इस बार वेटिंग लिस्ट का भी प्रावधान किया जाना है। इस व्यवस्था से बेरोजगारों को फायदा मिलेगा। भर्ती होने के बाद बहुत से अभ्यर्थी दूसरी सेवाओं में चले जाते हैं। ऐसे में उनके स्थान पर पीछे रहे अभ्यर्थियों को मौका दिया जाएगा।

प्रदेश में बीते साल करीब 200 हत्याएं हुई हैं। लेकिन, सड़क दुर्घटनाओं में इससे सात गुना ज्यादा मौत हुईं। बीते साल 1400 से ज्यादा लोगों की सड़क हादसों में मौत हुई है। इन असमय मौत पर अंकुश लगाने का प्रयास भी किया जाएगा। इसके लिए सड़कों पर दुर्घटनाएं रोकने के लिए नई रणनीति के साथ काम होगा। संबंधित विभागों से सड़कों में सुधार के प्रयास भी किए जाएंगे। पहाड़ों पर हादसे रोकने के लिए अलग से रणनीतियां बनाई जाएंगी।

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