दिल्ली : कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस जॉयमाल्या बागची अब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्य करेंगे। केंद्र सरकार ने उनकी सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति को अधिसूचित कर दिया है।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस संबंध में एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि, “भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद जस्टिस जॉयमाल्या बागची को सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में नियुक्त किया है।”
इससे पहले, 6 मार्च 2025 को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस बागची को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत करने की सिफारिश की थी। कॉलेजियम ने जस्टिस बागची की नियुक्ति के लिए उनकी योग्यता, निष्ठा और क्षमता का मूल्यांकन करते हुए यह निर्णय लिया। कॉलेजियम के प्रस्ताव में कहा गया कि जस्टिस बागची को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायधीशों और वरिष्ठ न्यायधीशों से विचार-विमर्श के बाद की गई है।
जस्टिस बागची का करियर और सुप्रीम कोर्ट में भविष्य
जस्टिस बागची ने 27 जून 2011 को कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। बाद में उनका ट्रांसफर 4 जनवरी 2021 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट किया गया था, लेकिन 8 नवंबर 2021 को उन्हें फिर से कलकत्ता हाईकोर्ट में भेजा गया, जहां वह अब तक कार्यरत थे। जस्टिस बागची ने 13 वर्षों से अधिक समय तक उच्च न्यायालय में सेवा दी है और कानून के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुभव प्राप्त किया है।
मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में जस्टिस बागची
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बागची का कार्यकाल लगभग छह वर्षों तक होगा और वह 2 अक्टूबर 2031 को रिटायर होंगे। इस दौरान वह 25 मई 2031 को जस्टिस केवी विश्वनाथन के रिटायर होने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में होंगे। इस नियुक्ति के साथ जस्टिस बागची का सुप्रीम कोर्ट में आने वाला समय उनके लिए काफी महत्वपूर्ण रहेगा, और माना जा रहा है कि उनकी नियुक्ति से न्यायपालिका में एक नई दिशा मिलेगी।
कलकत्ता हाईकोर्ट से मुख्य न्यायाधीश बनने का इतिहास
गौरतलब है कि 18 जुलाई 2013 को भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अल्तमस कबीर के रिटायर होने के बाद से कलकत्ता हाईकोर्ट से कोई भी जज भारत का मुख्य न्यायाधीश नहीं बना है। जस्टिस बागची इस परंपरा को बदलते हुए भविष्य में भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना रखते हैं।