नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स एक्ट की संवैधानिक वैधता पर सुनवाई शुरू करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। यह याचिका इस कानून की धारा 3, 12 और 14 के साथ-साथ कुछ नियमों को चुनौती देने वाले वकील अंसार अहमद चौधरी द्वारा दायर की गई है। याचिका में यह दावा किया गया है कि यह अधिनियम पुलिस को न केवल शिकायतकर्ता और अभियोजक का अधिकार देता है, बल्कि आरोपी की संपत्ति को भी बिना न्यायिक आदेश के कुर्क करने का अधिकार प्रदान करता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस याचिका पर गंभीरता से विचार करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से इस अधिनियम की संवैधानिक वैधता पर जवाब मांगा है। याचिका में यह तर्क दिया गया है कि अधिनियम की धारा 3 और 12 के तहत किसी आरोपी के खिलाफ फिर से एफआईआर दर्ज करना और उनकी संपत्ति की कुर्की करना संविधान के अनुच्छेद 20(2) का उल्लंघन हो सकता है, क्योंकि यह व्यक्ति को दोहरे खतरे में डालता है।
वकील अंसार अहमद चौधरी ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि 2021 के कुछ नियम, जैसे नियम 16(3), 22, 35, 37(3) और 40, जो मामलों के पंजीकरण, जांच, संपत्तियों की कुर्की, और ट्रायल से संबंधित हैं, वे भी संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। इन नियमों के तहत पुलिस अधिकारियों को अत्यधिक शक्तियां प्रदान की गई हैं, जो न्यायिक प्रक्रिया के खिलाफ जाती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को यह बताने का निर्देश दिया है कि आखिर इस अधिनियम की संवैधानिक वैधता को लेकर उनके पास क्या तर्क हैं। यह मामला अब गंभीर बन गया है, क्योंकि यदि अदालत इस अधिनियम को अवैध करार देती है, तो राज्य में चल रहे गैंगस्टर मामलों पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।
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