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सस्पेंस बना सवाल: उद्धव ठाकरे के हेलीकॉप्टर की तलाशी के पीछे क्या है बड़ा राज़ ?

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मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के हेलीकॉप्टर की एक बार फिर तलाशी ली गई है। यह घटना उस समय की है जब उद्धव ठाकरे चुनाव प्रचार के सिलसिले में लातूर गए थे। इसके साथ ही उनके बैग की भी जांच की गई, जिसके बाद शिवसेना यूबीटी ने इस कार्रवाई को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने इस कार्रवाई को सत्ता के दुरुपयोग और प्रतिशोध की भावना से किया गया कदम बताया है।

शिवसेना यूबीटी का आरोप: शिवसेना (यूबीटी) ने आरोप लगाया कि उनके नेता के खिलाफ जानबूझकर यह कार्रवाई की जा रही है, जबकि सत्ताधारी महायुति (भा.ज.पा.-शिवसेना-एनसीपी) के दलों पर पैसे बांटने और चुनावी धांधली के आरोप होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। शिवसेना ने ट्विटर (अब एक्स) पर इस कार्रवाई का एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें अधिकारियों को उद्धव ठाकरे के बैग और हेलीकॉप्टर की जांच करते हुए देखा जा सकता है।

शिवसेना ने आरोप लगाया, “हम पर यह कार्रवाई प्रतिशोध की भावना से की जा रही है, जबकि लोकतंत्र की अवहेलना करने वाले दलों के खिलाफ कोई जांच नहीं हो रही। चुनाव आयोग और केंद्र सरकार संविधान की अवहेलना कर रही है।” पार्टी ने यह भी कहा कि अन्य नेताओं जैसे कमलाबाई और ‘देशद्रोहियों’ के सामान की भी इस तरह की जांच की जानी चाहिए।

चुनाव आयोग की सफाई: चुनाव आयोग ने मामले पर अपनी सफाई दी है। आयोग के सूत्रों के मुताबिक, मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के तहत सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं के हेलीकॉप्टर और विमानों की जांच की जाती है। आयोग ने कहा कि इस प्रक्रिया का पालन सभी दलों के नेताओं के लिए समान रूप से किया जाता है। इस संदर्भ में, चुनाव आयोग ने बताया कि पिछले चुनावों में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के हेलीकॉप्टरों की भी जांच की गई थी।

आयोग ने यह भी बताया कि बिहार में 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान भी इस तरह की घटनाएं सामने आई थीं, जहां भाजपा के नेताओं के हेलीकॉप्टरों की जांच की गई थी।

समान अवसर की कोशिश: चुनाव आयोग ने इस तरह की जांचों को चुनावी पारदर्शिता और समान अवसर सुनिश्चित करने का एक हिस्सा बताया है। आयोग के सूत्रों ने बताया कि सभी नेताओं के हेलीकॉप्टरों की जांच के लिए प्राधिकृत एजेंसियों को निर्देश दिए गए हैं ताकि सभी दलों के नेताओं को समान अवसर मिले और चुनावी प्रक्रिया निष्पक्ष बनी रहे।

सियासी आरोप-प्रत्यारोप: महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान होना है, और इस बीच राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। शिवसेना (यूबीटी) का कहना है कि यह कार्रवाई उनके खिलाफ चुनावी खेल का हिस्सा है, जबकि सत्ता पक्ष इसे एक सामान्य प्रक्रिया मानता है।

चुनाव प्रचार में शिवसेना यूबीटी और भाजपा के बीच सियासी घमासान जारी है और दोनों दल चुनावी मैदान में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

 

 

 

 

 

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