Uttarakhand

सिल्क्यारा सुरंग के अंतिम ड्रिफ्ट टनल का काम अंतिम चरण में, अप्रैल तक पूरी होगी सुरंग !

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उत्तरकाशी: उत्तरकाशी के यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिल्क्यारा-पोलगांव सुरंग का काम अब अपने अंतिम चरण में है। अधिकारियों का कहना है कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो यह सुरंग अप्रैल अंत तक आर-पार हो जाएगी। फिलहाल सुरंग के पोलगांव बड़कोट छोर से खुदाई का कार्य लगभग 100 मीटर शेष है, और यह काम जल्द पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है।

सुरंग के सिल्क्यारा छोर पर भूस्खलन का मलबा हटाने के लिए बनाई जा रही तीसरी और आखिरी ड्रिफ्ट टनल की खुदाई भी अंतिम चरण में है, जिसके बाद सुरंग के दोनों छोरों से यातायात सुगम हो सकेगा।

भूस्खलन के कारण हुआ था निर्माण में देरी

सुरंग निर्माण के दौरान 2023 में हुए भूस्खलन के कारण सुरंग का मुंह बंद हो गया था, जिससे अंदर फंसे 41 श्रमिकों को 17 दिन लंबी रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सुरक्षित बाहर निकाला गया था। इस हादसे के कारण सुरंग का निर्माण लगभग ढाई से तीन माह तक पूरी तरह से बंद रहा था। बाद में 23 जनवरी 2024 को एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड) को निर्माण कार्य फिर से शुरू करने का निर्देश दिया गया था।

आधिकारिक जानकारी और भविष्य की योजना

एनएचआईडीसीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, बड़कोट छोर से 100 मीटर खुदाई का काम शेष है, जिसमें 80 से 90 लोग कार्यरत हैं। वहीं, सिल्क्यारा छोर पर भूस्खलन का मलबा हटाने के लिए तीसरी ड्रिफ्ट टनल की खुदाई 28 से 30 मीटर के अंतिम चरण में है, और कुल 120 श्रमिक इस पर काम कर रहे हैं।

अगर सुरंग के निर्माण को अप्रैल 2024 तक आर-पार किया जाता है, तो फिनिशिंग और अन्य कार्यों को पूरा करने में डेढ़ से दो साल का समय लग सकता है। इस दौरान सुरंग के अंदर दीवारों का निर्माण, पुल निर्माण और कंट्रोल रूम का निर्माण होगा, जिससे यह परियोजना 2026-27 में पूरी हो सकती है।

विशेष टेक्नोलॉजी और सुरक्षा प्रणाली

इस सुरंग में लगभग 150 करोड़ रुपये की लागत से इलेक्ट्रो मैकेनिकल कार्य किए जाएंगे। इसमें इटली से मंगवाए गए फायर सप्रेशन सिस्टम को भी लगाया जाएगा, जिससे सुरंग में आग लगने की स्थिति में पानी की फुहारों के माध्यम से आग पर काबू पाया जा सकेगा। इसके अलावा, सुरंग के दोनों किनारों पर कंट्रोल रूम बनाए जाएंगे, जिनसे ट्रैफिक, कैमरे, सेंसर और फायर सप्रेशन सिस्टम को स्काडा तकनीकी द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।

निर्माण में देरी का कारण

कार्यदायी संस्था और निर्माण कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि भूस्खलन का हादसा नहीं हुआ होता, तो सुरंग अब तक तैयार हो चुकी होती। इस परियोजना की कुल लागत 1383.708 करोड़ रुपये है, और यह 31 जनवरी 2026 तक पूरी होने की उम्मीद है।

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