देहरादून – उम्र बढ़ने के साथ व्यक्ति में कई बदलाव आने लगते हैं। शारीरिक परिवर्तन सबसे पहले नजर आता है। जैसे बढ़ती उम्र में चेहरे पर झुर्रियां आना, नजर कमजोर होना, त्वचा का लटकना, कमजोरी, कम ऊर्जा, जल्दी थकान महसूस करना, बालों में सफेदी आना सामान्य लक्षण हैं। इसके अलावा बौद्धिक स्थिति में भी परिवर्तन होते हैं, जैसे याददाश्त कमजोर होना, ध्यान केंद्रित न हो पाना। साथ ही स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं, जैसे डायबिटीज, हृदय रोग आदि।
बुढ़ाने की इन्हीं समस्याओं से दूर रहने के लिए पहले से ही एहतियात बरतते बचा जा सकता है। बुढ़ापे को खुद से दूर रखने के लिए कुछ योगासन बहुत असरदार हैं। इनके अभ्यास से त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ती उम्र में नहीं होतीं, साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर रहती हैं, जिससे वृद्धावस्था वाली बीमारियों से भी बचा जा सकता है।
वीरभद्रासन
इस आसन को वाॅरियर पोज कहते हैं, जिसके अभ्यास से पिंडली और घुटने की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। उम्र बढ़ने के साथ होने वाली घुटनों व टांगों में दर्द की समस्याएं नहीं हो पाती हैं। जिन लोगों को टांग में दर्द की शिकायत होती है, उन्हें वीरभद्रासन का अभ्यास जरूर करना चाहिए।
वृक्षासन
इसे ट्री पोज कहते हैं, जिसमें शरीर का आकार किसी पेड़ की तरह होता है। इस आसन से शरीर के पोस्चर में सुधार होता है। खराब पोस्चर के कारण बढ़ती उम्र में शारीरिक मुद्रा खराब हो जाती है। वृक्षासन पोस्चर ठीक करता है, कंधों की मांसपेशियों में खिंचाव लाता है और बुढ़ापे में कंधों व गर्दन के दर्द को कम करता है। इस आसन के अभ्यास से चेहरे पर पड़ने वाली झुर्रियों से भी बचा जा सकता है।
भुजंगासन
इस आसन से त्वचा संबंधी विकारों को बचाव होता है। भुजंगासन के नियमित अभ्यास से खून साफ रहता है और ऑक्सीजन की आपूर्ति दिमाग तक होती है। चेहरे पर निखार लाने के लिए भुजंगासन का नियमित अभ्यास करें। बुढ़ापे में भी जवां दिखने के लिए यह आसन असरदार है।
नोट: यह लेख योग गुरु के सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है। आसन की सही स्थिति के बारे में जानने के लिए किसी विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते हैं।