देहरादून: उत्तराखंड के वन विभाग में अब वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया को गति देने के लिए सेवानिवृत्त भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। विभाग का मानना है कि रिटायर हो चुके आईएफएस अधिकारी भूमि हस्तांतरण के कायदों और प्रक्रियाओं को भली-भांति समझते हैं, जिससे सड़कों और अन्य विकास कार्यों के लिए वनीय स्वीकृतियां आसानी से मिल सकेंगी।
वन विभाग की विभिन्न विकास योजनाओं में अक्सर वन भूमि की आवश्यकता होती है, लेकिन वन भूमि हस्तांतरण में कई जटिल प्रक्रियाएं और चरण होते हैं। इसमें सबसे पहले डीएफओ (जिला वन अधिकारी) स्तर से प्रस्ताव तैयार होता है, उसके बाद यह प्रस्ताव देहरादून और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तक पहुंचता है। प्रक्रिया में दो प्रमुख चरणों की अनुमति मिलती है, जो सशर्त होती है। इसमें क्षतिपूरक वनीकरण (compensatory afforestation) के लिए दोगुनी भूमि का प्रस्ताव और एनपीवी (Net Present Value) जमा करना जैसे कदम शामिल होते हैं।
प्रस्ताव तैयार करने में कई बार तकनीकी समस्याएं आती हैं, जिनका समाधान अब सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारियों से लिया जाएगा। वन विभाग ने इन अधिकारियों को अनुबंध के आधार पर तैनात करने का फैसला किया है। इन अधिकारियों को मुख्य रूप से वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया में सहायता देने और उसे शीघ्रत: पूरा करने का कार्य सौंपा जाएगा। एक अधिकारी शासन स्तर पर और एक प्रमुख अभियंता कार्यालय स्तर पर नियुक्त किए जाएंगे। इसके लिए लोनिवि (लॉजिस्टिक और निर्माण विभाग) द्वारा एक विज्ञापन भी जारी किया गया है।
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