Dehradun

UTTARAKHAND: अंकिता हत्याकांड के बाद सरकार का वादा अधूरा, पटवारी राज जारी, आयोग ने सरकार से मांगी रिपोर्ट !

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देहरादून: उत्तराखंड में अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद राज्य सरकार ने पटवारी राज समाप्त करने का निर्णय लिया था, लेकिन दो साल से अधिक समय बीतने के बावजूद राज्य के सुदूर क्षेत्रों में कानून का राज स्थापित नहीं हो सका है। सरकार ने पहले चरण में छह नए थाने और 20 पुलिस चौकियां खोली थीं, लेकिन दूसरे चरण की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हो पाई है।

राज्य मानवाधिकार आयोग ने इस देरी को बेहद गंभीर माना है और शासन से आख्या रिपोर्ट मांगी है। आयोग का कहना है कि इस देरी के कारण राज्य के दूरदराज क्षेत्रों में मानवाधिकारों का उल्लंघन जारी है, जहां स्थानीय दबंगों के लिए पटवारी को धमकाना आसान हो गया है। आयोग ने 28 अप्रैल तक प्रमुख सचिव से रिपोर्ट मांगी है।

पटवारी सिस्टम को सुप्रीम कोर्ट के कटघरे में ले जाने वाली एडवोकेट रितुपर्णा उनियाल ने कहा कि सरकार ने छह महीने के भीतर राज्य में कानून का राज स्थापित करने के लिए हलफनामा दिया था। लेकिन अब दो साल बाद भी सरकार का ढुलमुल रवैया सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है। उन्होंने बताया कि इस मामले में अवमानना याचिका दायर की जाएगी।

राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य गिरधर सिंह धर्मशक्तू ने इस बात पर संज्ञान लिया है कि सुदूर क्षेत्रों में पटवारी व्यवस्था के चलते मानवाधिकारों का उल्लंघन बढ़ गया है। आयोग ने बताया कि जहां पटवारी राज है, वहां अपराधियों के लिए छिपना और फरारी काटना आसान हो गया है। स्थानीय अधिकारियों को कानून की जानकारी नहीं होती और वे कानून का पालन कराने में सक्षम नहीं होते।

इन क्षेत्रों में कई कानून व्यवस्था संबंधी समस्याएं सामने आ रही हैं, जैसे महिलाओं के खिलाफ अपराध, बेनामी भूमि पर अतिक्रमण, खनन, तेज रफ्तार गाड़ियों का चलना, स्कूल छात्रों से छेड़छाड़, और शराबियों का हुड़दंग। आयोग का कहना है कि इन समस्याओं का समाधान तब तक संभव नहीं है जब तक राज्य में पटवारी व्यवस्था को समाप्त कर पूरी तरह से पुलिस व्यवस्था लागू नहीं की जाती।

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