देहरादून: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव और चारधाम यात्रा के बीच तालमेल बिठाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में ओबीसी आरक्षण से संबंधित अध्यादेश नहीं आ पाया, जिससे पंचायत चुनाव की प्रक्रिया में देरी तय मानी जा रही है।
प्रदेश में हरिद्वार को छोड़कर 12 जिलों में पंचायत चुनाव होने हैं। लेकिन इससे पहले पंचायत एक्ट में संशोधन कर ओबीसी आरक्षण तय करना जरूरी है। इसके बाद शासनादेश जारी होगा, आरक्षण का प्रतिशत तय किया जाएगा और फिर आपत्तियों का आमंत्रण और निपटारा किया जाएगा। इस प्रक्रिया में लंबा समय लगना तय है, और इसी दौरान चारधाम यात्रा भी शुरू हो रही है, जिससे प्रशासनिक मशीनरी पूरी तरह यात्रा में व्यस्त हो जाएगी।
राज्य में जिला पंचायतों में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल एक जून को खत्म हो रहा है। चुनाव प्रक्रिया पूरी न होने की स्थिति में इनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।
पंचायतीराज विभाग के सचिव चंद्रेश कुमार ने कहा कि विभाग की तैयारी चल रही है और चुनाव के लिए 28 दिन का समय चाहिए। उन्होंने विश्वास जताया कि चुनाव समय पर हो जाएंगे।
वहीं राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग को अभी आरक्षण सूची नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि जैसे ही आरक्षण तय होगा, चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी जाएगी।
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