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UTTARAKHAND: 137 करोड़ रुपये के यूपीआरएनएन घोटाले की जांच अब करेगी एसआईएस, SSP ने जारी किए निर्देश…

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देहरादून: उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) के कामों में हुए 137 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच अब एसआईएस (विशेष जांच दल) करेगा। मंगलवार को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह ने इस मामले की जांच एसआईएस से कराने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद नेहरू कालोनी थाने से सभी छह मुकदमे और संबंधित दस्तावेज़ एसआईएस को ट्रांसफर किए जा रहे हैं।

इस घोटाले में यूपीआरएनएन के पांच पूर्व अधिकारियों पर आरोप है। सरकारी विभागों के निर्माण कार्यों को यूपीआरएनएन को सौंपा गया था, लेकिन आरोप है कि इन अधिकारियों ने रकम हड़पने के लिए नियमों का उल्लंघन किया और अनियमितताएं कीं। विभागीय जांच में यह पाया गया कि इन अधिकारियों ने निर्धारित धनराशि से अधिक खर्च किया और कार्यों के लिए धन की हेरफेर की गई।

जांच में यह भी सामने आया कि बिना माप पुस्तिका (एमबी) के 9.93 करोड़ रुपये का संदिग्ध भुगतान किया गया, जो निगम के लिए वित्तीय नुकसान के रूप में दर्ज किया गया। इसके अलावा, 15.17 करोड़ रुपये की राशि में से कई परियोजनाओं में काम शुरू नहीं किया जा सका, बावजूद इसके पैसे का खर्च दिखाया गया।

इस मामले में पूर्व महाप्रबंधक शिव आसरे शर्मा, पूर्व परियोजना प्रबंधक प्रदीप कुमार शर्मा, और बर्खास्त सहायक लेखाधिकारी वीरेंद्र कुमार रवि पर मुकदमा दर्ज किया गया है। इसके साथ ही एकीकृत औद्योगिक आस्थानों में किए गए कार्यों में भी धांधली का पता चला है, जिसके चलते निगम को 5.62 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

जांच के दौरान यह भी सामने आया कि डिजास्टर रिलीफ सेंटर्स के निर्माण के लिए बिना जमीन के ही 4.28 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, और इस राशि का समायोजन अन्य कार्यों में किया गया। इस अनियमितता के लिए परियोजना प्रबंधक सत्येदव शर्मा और बर्खास्त सहायक लेखाधिकारी वीरेंद्र कुमार रवि जिम्मेदार पाए गए।

इसके अलावा, पूर्व महाप्रबंधक शिव आसरे शर्मा, तत्कालीन परियोजना प्रबंधक सत्येदव शर्मा और पूर्व सहायक लेखाधिकारी राम प्रकाश गुप्ता ने पर्यटन विभाग के कार्यों को बिना सेंटेज की गणना के पूरा कर दिया, जिससे निगम को 1.59 करोड़ रुपये की वित्तीय हानि हुई।

पुलिस द्वारा सभी आरोपितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और मामले की जांच जारी है।

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