मसूरी: 14 फरवरी को दुनिया भर में वैलेंटाइन डे (Valentine’s Day) मनाया जाता है, जो प्यार करने वालों का दिन माना जाता है। इस दिन का बेसब्री से इंतजार हर कपल करता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन की शुरुआत भारत के मसूरी से हुई थी? जी हां, मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज के अनुसार, भारत में वैलेंटाइन डे मनाने की परंपरा मसूरी से शुरू हुई थी।
75 वर्षीय गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि मसूरी में 14 फरवरी 1843 को इंग्लैंड में जन्मे मोगर मांक ने अपनी बहन मार्ग्रेट मांक को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में मोगर ने अपनी भावनाओं का इज़हार करते हुए लिखा था कि उन्हें एक युवती, एलिजाबेथ लुईन, से प्यार हो गया है और वे उसके साथ खुश हैं। यह पत्र “मसूरी मर्चेंट द इंडियन लैटर्स” पुस्तक में शामिल किया गया है, जो इस बात का प्रमाण है कि भारत में वैलेंटाइन डे की परंपरा की शुरुआत मसूरी से हुई।
वर्ष 1849 में मोगर मांक का निधन हुआ और इस पत्र का पता तब चला जब 150 साल बाद उनके रिश्तेदार एंड्रयू मोर्गन ने 1828 से 1849 के बीच लिखे गए पत्रों का जिक्र “मसूरी मर्चेंट इंडियन लेटर्स” पुस्तक में किया। इसके बाद से ही मसूरी में प्रेम, स्नेह और समर्पण के प्रतीक के रूप में वैलेंटाइन डे मनाने की परंपरा शुरू हुई और यह परंपरा भारत के अन्य हिस्सों में फैल गई।
मसूरी, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए प्रसिद्ध है, आज भी इस दिन को खास तरीके से मनाने के लिए एक लोकप्रिय स्थान बना हुआ है। 14 फरवरी को यहां प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें डिनर, संगीत और अन्य रोमांटिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं।
वैलेंटाइन डे न केवल रोमांटिक प्यार का प्रतीक है, बल्कि यह दोस्ती, परिवार और आत्मीयता जैसे सभी प्रकार के प्यार का सम्मान करने का भी दिन है। गोपाल भारद्वाज ने बताया कि वैलेंटाइन डे का मतलब सिर्फ रोमांटिक रिश्तों को मनाना नहीं है, बल्कि यह अन्य प्रकार के प्यार को भी मान्यता देने का अवसर है।
हालांकि, इस दिन को लेकर कुछ विवाद भी उठते हैं। कुछ लोग इसे एक व्यापारिक अवसर मानते हैं, जिसमें महंगे उपहारों और फूलों की खरीदारी का दबाव होता है, जबकि अन्य इसे अश्लीलता और भौतिकता से जोड़ते हैं। लेकिन, गोपाल भारद्वाज के अनुसार, यह दिन प्रेम और रिश्तों की असली भावना को सम्मान देने का है।