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श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया का हुआ वैदिक शुभारंभ, देव डोलियों ने किया पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान…

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चमोली: उत्तराखंड के भू बैकुंठ माने जाने वाले श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले की पारंपरिक वैदिक प्रक्रिया का आज से शुभारंभ हो गया है। यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद अब श्रद्धालुओं की निगाहें बद्रीनाथ धाम पर टिकी हैं, जहां 4 मई को सुबह ब्रह्ममुहूर्त में श्री बदरीनाथ के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले जाएंगे।

शुक्रवार को ज्योतिर्मठ स्थित श्री नृसिंह मंदिर परिसर के महालक्ष्मी मंदिर में वैदिक पंचांग के अनुसार पूजा-अर्चना संपन्न की गई। पूजा के पश्चात आदि गुरु शंकराचार्य की पवित्र गद्दी, भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ जी, और पवित्र तेल कलश गाडू घड़ा समेत सभी देव डोलियों ने श्री बद्रीनाथ धाम के लिए प्रस्थान किया।

मुख्य पुजारी रावल श्री अमरनाथ नंबूदरी के नेतृत्व में यह धार्मिक यात्रा सेना के मधुर बैंड की धुनों और “बोल बदरी विशाल भगवान की जय” के जयकारों के बीच आरंभ हुई। देव डोलियां आज रात्रि पांडुकेश्वर स्थित योग ध्यान बदरी मंदिर में विश्राम करेंगी।

इस आध्यात्मिक यात्रा के दौरान स्थानीय हक-हकूकधारी, बीकेटीसी के अधिकारी, वेदपाठी आचार्य और बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। महिलाओं ने पारंपरिक मंगल गीतों के साथ डोलियों को विदा किया। शनिवार को पांडु नगरी से भगवान कुबेर भंडारी और श्री उद्धव जी की डोलियां भी बद्रीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगी।

4 मई को प्रातः 6 बजे ब्रह्ममुहूर्त में श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिए जाएंगे, जिसके साथ ही छह महीने की तीर्थ यात्रा का श्रीगणेश होगा। प्रशासन और बीकेटीसी ने दर्शन और यात्रा को लेकर तैयारियां पूरी कर ली हैं।

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