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पढ़िए. कैलाश यात्रा से पहले पिथौरागढ़ के किस शिव मंदिर के दर्शन की मान्यता हैं

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 पिथौरागढ़-  सावन का दूसरे सोमवार पिथोरागढ़ के पुंगेश्वर महादेव मंदिर में लगी भक्तों की भारी भीड़. बेरीनाग बाफिला गांव में स्थित पुंगेश्वर महादेव मंदिर शिव का बड़ा धाम रहा है। विशेष मान्यताओं के कारण शिव भक्तों की आस्था का केंद्र है। कत्यूरी शैली का आकर्षक मंदिर और तमाम पौराणिक चीजें मौजूद हैं। यह जगह बेरीनाग-बरसायत मार्ग में यहां से करीब 12 किलोमीटर की दूरी में है। सावन के अलावा शिवरात्रि पर्व पर यहां मेला लगता है।

स्थानीय लोगों का कहना हैं पुंगेश्वर महादेव मंदिर कि आदिकाल से आयोजित की जाने वाली कैलाश-मानसरोवर यात्रा के पैदल यात्री मंदिर का दर्शन करके आगे बढ़ते थे। बाद में रूट बदलने के चलते यह परंपरा बंद हो गई।

मान्यता है कि भगवान शिव पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती को ब्याह कर अपने मूल निवास कैलाश को जा रहे थे। इस जगह से गुजरते हुए उन दोनों के हाथ में बंधे आंचल ग्रंथ (शादी की रस्म में बांधा जाता है) से पुंगी (सुपारी) का दाना गिर गया। जिस जगह दाना गिरा, वहां शिवालय की स्थापना हुई। पुंगी के नाम से इसका नाम पुंगीश्वर महादेव पड़ा। जो अपभ्रंश के बाद पुंगेश्वर हो गया। स्कंदपुराण में भी यह स्थान पुंगीश्वर महादेव के नाम से वर्णित है। बाद में कत्यूरी राजाओं ने यहां कत्यूरी शैली के भव्य मंदिर का निर्माण कराया। उस दौर में यहां एक नौले से लगे विशाल स्नानागार का निर्माण भी हुआ। जो पुरातन काल की अद्भुत वास्तुकला की कहानी बया करता है।

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