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39 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को शिक्षक दिवस पर शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार से किया गया सम्मानित।

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देहरादून – राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने सोमवार को राजभवन सभागार में शिक्षक दिवस के अवसर पर 39 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को ‘शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार’ प्रदान किये। वर्ष 2018 के लिए चयनित 19 और वर्ष 2021 के लिए चयनित 20 शिक्षक-शिक्षिकाओं को यह पुरस्कार प्रदान किए गए। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त करने वाले 02 शिक्षकों को भी सम्मानित किया। इस दौरान शिक्षामंत्री डॉ धन सिंह रावत भी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं को बधाईयां दी। उन्होंने कहा कि पुरस्कार प्राप्त करने के पश्चात शिक्षकों का दायित्व और भूमिका और भी बढ़ गई है। राज्य शैक्षिक पुरस्कार से चयनित उत्कृष्ट शिक्षक अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज की प्रगति का मूल आधार होता है। छात्र-छात्राओं में नैतिक आदर्शों, अच्छे संस्कारों और गुणों के विकास में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

राज्यपाल ने कहा कि शिक्षक समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं। पूरे समाज की सोच, विचार और धारणा को शिक्षक ही बदल सकते हैं। शिक्षकों के बल पर ही हम विश्वगुरु बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन सभ्यता, संस्कृति, इतिहास को तकनीक रिसर्च और अनुसंधान के साथ जोड़ते हुए इस पर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे आनी वाली पीढ़ि को चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करें।

राज्यपाल ने कहा कि सभी शिक्षकों से यह अपेक्षा रहेगी कि अपनी साहित्य साधना को निरंतर जारी रखें ताकि आने वाली पीढ़ियां आपके साहित्य और आपकी प्रतिभा को याद करें और उनके लिए उपयोगी हो सके। शिक्षक का दर्पण उसके पढ़ाये हुए छात्र होते हैं। आपके छात्रों की उपलब्धियां आपकी उपलब्धियों की ओर इशारा करती हैं। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राएं हमारे प्रदेश का भविष्य हैं। उनकी प्रतिभाएं हमारी अमूल्य धरोहर होंगी। बच्चों को अच्छी शिक्षा एवं अच्छे संस्कार देना शिक्षकों का ही दायित्व है। उन्होंने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य हेतु शिक्षकों को अपना उत्कृष्ट योगदान देने की अपील की।

शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने उपस्थित सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारे प्रदेश के सभी शिक्षक बेहतर कार्य कर रहे हैं। सभी के अथक प्रयासों से राज्य में शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि अध्यापक ही एक अच्छा नागरिक और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड पहला राज्य है जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू कर लिया है।

उन्होंने कहा कि 4,447 आंगनबाडियों के माध्यम से बाल वाटिकाएं शुरू की गई हैं। उन्होंने कहा कि हर जिले में बेसहारा बच्चों के लिए नेताजी सुभाष चन्द्र छात्रावास खोले जा रहे हैं। इस दौरान उन्होंने शिक्षा विभाग में किये जा रहे अन्य अभिनव कार्यों की जानकारी दी।

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