देहरादून – शिक्षा विभाग के कारनामे भी अजब गजब हैं। पहले जूनियर अधिकारी को माध्यमिक शिक्षा का प्रभारी निदेशक बनाने के बाद अब उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद के सचिव का काम परिषद के उप सचिव को दे दिया गया है।
मामले में बोर्ड सचिव ने शिक्षा सचिव रविनाथ रामन को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया कि विभाग की ओर से यह सब जानबूझकर कर उनके सम्मान को ठेस पहुंचाई जा रही है। उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की सचिव डाॅ. नीता तिवारी ने शासन को लिखे पत्र में कहा, वर्तमान में उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं।
मूल्यांकन, परीक्षाफल तैयार करने, परीक्षार्थियों के प्रमाणपत्र सह अंक पत्रों के नमूना हस्ताक्षर एवं परीक्षाफल सुधार परीक्षा का आयोजन आदि काम उनके बोर्ड सचिव रहते बोर्ड के अपर सचिव विनोद प्रसाद सिमल्टी को दे दिए गए हैं। नियमों को ताक पर रख अपर सचिव को कार्यदायित्व दिया गया है। जिससे स्पष्ट है कि एक महिला अधिकारी को किस तरह से अपनी सेवा के अंतिम पड़ाव में प्रताड़ित किया जा रहा है।
बोर्ड सचिव ने कहा, ऐसा कर जानबूझकर उनके आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाई गई है। विभाग में पहले भी चहेते अधिकारी को फायदा पहुंचाने के लिए नियमाें को ताक पर रखते हुए उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया गया है। शासन को लिखे पत्र में कहा कि इन परिस्थितियों में जबकि उनके कार्य दायित्व नियम ताक पर रखकर जूनियर अधिकारी को दे दिया गया है। ऐसे में उस कार्यालय में उनके बने रहने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता।
पत्र में यह भी कहा गया कि अगले दो दिन में स्थिति को सुधारा जाए या फिर यह बताया जाए कि बोर्ड सचिव रहते उनका कार्यदायित्व क्या होगा। बोर्ड सचिव ने मामले में शिक्षा सचिव से 11 मार्च को मिलने के लिए समय मांगा है। शिक्षा सचिव रविनाथ रामन से इस बारे मेें प्रयास के बाद भी संपर्क नहीं किया जा सका है।