चंपावत: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में मौलेखाल के पास एक भीषण बस हादसा हुआ, जिसमें 36 यात्रियों की मौत हो गई और 27 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा एक यात्री बस के अनियंत्रित होने के कारण हुआ, जिससे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। वहीं, चंपावत जिले में एक और बड़ा हादसा होते-होते टल गया। लोहाघाट डिपो की रोडवेज बस की ब्रेक फेल हो गई थी, लेकिन चालक की सूझबूझ ने उसे एक बड़ी दुर्घटना से बचा लिया।
चंपावत हादसा टला, चालक की सूझबूझ से 28 जानें बचीं
लोहाघाट डिपो की रोडवेज बस (यूके 07 पीए 2812), जो लोहाघाट से हल्द्वानी जा रही थी, चंपावत टनकपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्वाला के समीप कोट अमोड़ी के पास एक बड़ी दुर्घटना का शिकार हो गई। बस का प्रेशर पाइप फटने से ब्रेक फेल हो गए, जिससे बस की गति पर काबू पाना मुश्किल हो गया। बस में 28 यात्री सवार थे और ब्रेक फेल होने से बस तेजी से ढलान पर बढ़ने लगी। इस स्थिति में बस के चालक नारायण दत्त ने अद्वितीय सूझबूझ दिखाते हुए बस को गहरी खाई में गिरने से बचा लिया और उसे नाली में उतार दिया। इस साहसिक कदम से बस वहीं रुक गई और सभी यात्री सुरक्षित रहे।
बस के ब्रेक फेल होने की जानकारी मिलते ही यात्रियों में हड़कंप मच गया और कुछ समय के लिए भय का माहौल बन गया। हालांकि, चालक की बहादुरी ने दुर्घटना को टाल दिया और सभी यात्रियों ने राहत की सांस ली। लोहाघाट डिपो के एजीएम धीरज वर्मा ने पुष्टि की कि किसी भी यात्री को चोट नहीं आई और सभी यात्री सुरक्षित हैं। इसके बाद यात्रियों को दूसरी बस से उनके गंतव्य की ओर भेजा गया।
पुरानी और खराब बसों की समस्या
हालांकि, इस घटना ने एक और गंभीर मुद्दे को उजागर किया है, वह है रोडवेज डिपो में पुरानी और खराब बसों की बढ़ती संख्या। लोहाघाट डिपो में कई पुरानी बसें सड़क पर दौड़ रही हैं, जिनकी सही तरीके से मेंटेनेंस नहीं हो पा रही है। कई बार इन बसों के ब्रेक, इंजन और अन्य अहम पुर्जों में खराबी आ जाती है, जिससे यात्रियों की जान जोखिम में पड़ जाती है।
स्थानीय लोग और रोडवेज कर्मचारी लंबे समय से राज्य सरकार से 25 नई बसों की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक केवल पांच नई बसें ही डिपो को दी गई हैं। इसके अलावा, डिपो की वर्कशॉप में मैकेनिकों और स्पेयर पार्ट्स की कमी के कारण बसों की नियमित मेंटेनेंस नहीं हो पा रही है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है।
चालक की बहादुरी की सराहना
इस घटना के बाद, यात्रियों ने चालक नारायण दत्त की बहादुरी और सूझबूझ की सराहना की। उनका साहसिक कदम ही था जिसने एक और बड़ी दुर्घटना को टाल दिया। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर समय रहते चालक ने सही कदम नहीं उठाया होता, तो यह हादसा काफी भयानक हो सकता था।
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