Rajasthan
अद्भुत परंपराएं: जहां भक्त चूहों के झूठे प्रसाद को मानते हैं पवित्र !
बीकानेर/राजस्थान: बीकानेर का करणी माता मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो अपने अद्वितीय इतिहास और आकर्षक परंपराओं के लिए जाना जाता है। यह मंदिर देवी करणी माता को समर्पित है, जिन्हें स्थानीय लोग देवी दुर्गा का अवतार मानते हैं। मंदिर की मान्यता और पौराणिक कथाएं इसे विशेष बनाती हैं, और यहां हर साल श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में भीड़ लगती है।
करणी माता का इतिहास
करणी माता का जन्म चारण जाति में हुआ था और वह एक योद्धा ऋषि के रूप में जानी जाती हैं। उनकी तपस्वी जीवनशैली और वीरता के कारण उन्हें खासा सम्मान प्राप्त था। कहा जाता है कि उन्होंने जोधपुर और बीकानेर के महाराजाओं से अनुरोध प्राप्त करने के बाद मेहरानगढ़ और बीकानेर किलों की आधारशिला रखी। मंदिर का निर्माण 20वीं शताब्दी की शुरुआत में बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह द्वारा किया गया था, जिसकी वास्तुकला मुगल शैली की प्रतीक है।
चूहों की अनोखी परंपरा
बीकानेर का करणी माता मंदिर 25,000 से ज्यादा चूहों का घर है। यहां के भक्त चूहों को पवित्र मानते हैं और उनका खाना ही प्रसाद माना जाता है। विशेष रूप से सफेद चूहों को करणी माता और उनके पुत्रों का अवतार माना जाता है। इस मंदिर में यदि गलती से भी किसी चूहे को चोट पहुंचाई जाती है, तो उसे गंभीर पाप माना जाता है।
खास धार्मिक अनुष्ठान
मंदिर में सुबह और शाम आरती होती है, और भक्त देवी और चूहों को प्रसाद चढ़ाते हैं। नवरात्रि के दौरान यहां मेला लगता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। मंदिर की खासियत यह है कि यहां प्रसाद खाने के बाद किसी भी भक्त को बीमार होने की खबर नहीं मिली है।
यात्रा की सुविधा
- फ्लाइट से: जोधपुर एयरपोर्ट, जो बीकानेर से 220 किमी दूर है, यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। श्रद्धालु एयरपोर्ट से टैक्सी बुक कर मंदिर पहुंच सकते हैं।
- ट्रेन से: बीकानेर का रेलवे स्टेशन लगभग 30 किमी दूर है और यह दिल्ली, कोलकाता, आगरा, जयपुर और अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। स्टेशन से लोकल ट्रांसपोर्ट आसानी से उपलब्ध है।
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