Uttarakhand

18 साल की उम्र में बेटे ने पिता को दिया लिवर का अंशदान,अब जी रहे जीवन।

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देहरादून- 18 वर्ष की आयु में पिता को लिवर का अंशदान कर बेटे डॉ. शिवाशीष पंत अपने पिता को मौत के मुंह से खींच लाए। अपने बेटे से अंग लेकर पिता डॉ. अशोक कुमार पंत आज सफल जीवन जी रहे हैं। इस प्रत्यारोपण के सफर को उन्होंने किताब का रूप देकर अपने अनुभव साझा किए हैं।

बृहस्पतिवार को दून लाइब्रेरी में डॉ. अशोक कुमार की पुस्तक ‘लिवर प्रत्यारोपण : मेरे अनुभव’ का विमोचन किया। इसके साथ ही अंगदान महादान अभियान का शुभारंभ किया। डॉ. अशोक पंत के लिवर प्रत्यारोपण को 15 वर्ष हो गए हैं।

किताब के विमोचन के अवसर पर हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विवि के कुलपति प्रो. हेमचंद पांडे ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। प्रो. पांडे ने किताब का विमोचन कर कहा कि अंगदान कर दूसरे व्यक्ति को जीवन प्रदान करना एक पुण्य का काम है।

उन्होंने शिवाशीष पंत को अंगदान महादान अभियान का ब्रांड एंबेसडर बनाकर सम्मानित किया। इस दौरान सीनियर सिटिजन वेलफेयर सोसाइटी की ओर से डॉ. जोशी और निशक्त जन पुनर्वास एवं प्रशिक्षण केंद्र की ओर से अध्यक्ष भारती पांडे ने भी शिवाशीष पंत को सम्मानित किया।
डॉ. अशोक पंत ने बताया कि वह समय उनके और उनके परिवार के लिए बहुत कठिन था। मरने का ख्याल हमेशा दिमाग में आता रहता था। लेकिन, आखिरकार ठान लिया कि उन्हें अभी जीना है। इसी एक ख्याल के साथ उन्होंने उस कठिन समय का सामना किया। वह संतुलित आहार और समय पर अपनी दवाइयां भी लेते हैं। डॉ. संजय गौड़ ने अंगदान व अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया बताते हुए कहा कि जल्द ही प्रदेश को अपना सोटो केंद्र मिलने वाला है। उन्होंने राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण कार्यक्रम यानी की एनओटीपी के बारे में जानकारी भी दी। विशिष्ट अतिथि यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो, दुर्गेश पंत ने जन समुदाय को अंगदान महादान मुहिम में सहयोग करने और आम लोगों में प्रत्यारोपण को लेकर भ्रांतियों को दूर करने की अपील की।

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