देहरादून : उत्तराखंड की ठंडी सुबह में एक अजीब सा सन्नाटा था। लोग अपने-अपने कामों में व्यस्त थे, लेकिन अचानक सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) से एक भयानक खबर आई: एक बड़े साइबर हमले ने राज्य के पूरे आईटी सिस्टम को ठप कर दिया था।
सचिवालय में कामकाज पूरी तरह रुक गया। नितेश झा, सचिव आईटी, जैसे ही इस खबर को सुने, उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें गहरी हो गईं। उन्होंने तुरंत नितिका खंडेलवाल, आईटीडीए निदेशक, को फोन किया। दोनों ने एक्शन लिया और अपनी टीम के साथ आईटीडीए पहुंच गए।
जब उन्होंने स्थिति का जायजा लिया, तो पता चला कि यूके स्वान, जो कि राज्य का सुरक्षा नेटवर्क है, और सबसे अहम स्टेट डाटा सेंटर दोनों इस साइबर हमले की जद में आ चुके थे। एक के बाद एक सरकारी वेबसाइटें बंद होती चली गईं। सीएम हेल्पलाइन, ज़मीनों की रजिस्ट्री, और ई-ऑफिस—all ठप।
दिनभर वायरस से छुटकारा पाने के प्रयास चलते रहे, लेकिन हर कोशिश असफल होती गई। नितेश और नितिका की चिंता बढ़ती गई। लोग परेशान थे, शिकायतें बढ़ती जा रही थीं, और सिस्टम में कोई हल नहीं दिख रहा था।
देर शाम, विशेषज्ञों की एक टीम ने यूके स्वान को फिर से चलाने में सफलता पाई, लेकिन यह स्थायी नहीं था। नितेश ने सभी सेवाएं बंद करने का आदेश दिया ताकि नुकसान को रोका जा सके। सचिवालय में फाइलें लटक गईं, और जिले जहां ई-ऑफिस लागू था, वहाँ भी काम ठप रहा।
अचानक, आईटीडीए के विशेषज्ञों ने एक सुराग पाया। यह एक नया वायरस था, जो किसी अज्ञात स्रोत से आया था।सचिव नितेश झा और निदेशक नितिका खंडेलवाल ने तुरंत कार्रवाई की योजना बनाई। उनकी टीम ने मिलकर काम किया, और आखिरकार, धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होने लगी।
कड़ी मेहनत के बाद, जब पहली बार सरकारी वेबसाइट्स फिर से ऑनलाइन आईं, तो पूरे आईटीडीए में ताली की गूंज सुनाई दी। राज्य के लोगों ने राहत की सांस ली।