देहरादून – प्रदेश के रुड़की व काशीपुर में बनीं पांच दवाइयों के सैंपल केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की जांच में फेल पाए गए। सीडीएसओ की रिपोर्ट पर खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने दवा बनाने वाली कंपनियों के लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं। साथ ही जांच में फेल पाए गए दवाइयों को बाजार से वापस मंगवाया जा रहा है।
केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन की ओर से देश में बन रही दवाइयों की गुणवत्ता की लगातार निगरानी की जा रही है। केंद्रीय टीम गुणवत्ता जांच के लिए दवाइयों के सैंपल ले रही है। उत्तराखंड भी फार्मा विनिर्माण का बड़ा हब है। देश में निर्मित दवाइयों में उत्तराखंड का 20 से 25 फीसदी योगदान है। यहां से कई दवाइयां निर्यात की जाती है। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रक संगठन ने जून माह की जांच रिपोर्ट जारी की है। जिसमें देशभर में निर्मित 31 दवाइयों की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं मिली। इनमें उत्तराखंड में निर्मित पांच दवाएं भी शामिल हैं।
खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अपर आयुक्त एवं औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह ने बताया कि दवाइयों की गुणवत्ता जांच के लिए सीडीएसओ के माध्यम से सैंपलिंग की जाती है। सीडीएसओ की रिपोर्ट के आधार पर संबंधित कंपनियों के उत्पाद लाइसेंस निलंबित करने की कार्रवाई की गई। पिछले चार माह उत्तराखंड में निर्मित 35 दवाओं के सैंपल फेल पाए गए। जिनके खिलाफ विभाग ने कार्रवाई की है। उन्होंने बताया कि स्काइमेप फार्मास्यूटिकल्स रुड़की की एसोप्रैज़ोल टैबलेट, फ्रान्सिस रेमेडीज रुड़की की रैनिटीडीन टैबलेट, ओमेगा फार्मा रुड़की ट्रेनेक्ज़ामिक एसिड टैबलेट, एग्रोन रेमेडीज काशीपुर की पैंटोप्राज़ोल टैबलेट और एप्पल फार्म्युलेशन रुड़की की एटोरिकाक्सीब टैबलेट के सैंपल जांच में फेल पाए गए।