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जलवायु परिवर्तन से कृषि पर गंभीर असर, गेहूं और चावल की पैदावार में गिरावट की आशंका !

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नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन का असर भारत की कृषि पर तेजी से दिखाई दे रहा है, जिससे गेहूं और चावल की पैदावार में 6 से 10 प्रतिशत तक की गिरावट हो सकती है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अधिकारियों ने इस बारे में चेतावनी जारी की है। मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में चावल और गेहूं की पैदावार में कमी का सामना करना पड़ेगा, जो देश की खाद्य सुरक्षा और किसानों पर गहरा असर डालेगा।

ग्लोबल वार्मिंग के चलते मौसम प्रणालियों में बदलाव आ रहा है, जिससे मौसम का सटीक पूर्वानुमान भी कठिन हो रहा है। पश्चिमी विक्षोभ की आवृत्ति और तीव्रता कम हो रही है, जिससे हिमालय और मैदानी इलाकों में जल संकट की गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है। सचिव एम रविचंद्रन ने भी चेतावनी दी कि हिमालय में बर्फ के पिघलने की दर बढ़ रही है, जिससे पानी की उपलब्धता घट रही है, और आने वाले समय में यह जल संकट गहरा सकता है।

इसके अलावा, समुद्र के तापमान में वृद्धि से मछलियां गहरे समुद्र में ठंडे पानी की ओर जा रही हैं, जिससे मछुआरा समुदाय की आजीविका पर भी असर पड़ रहा है। यह बदलाव कृषि और मछली पालन दोनों क्षेत्रों में बड़ी चुनौतियां पैदा कर सकता है।

महानिदेशक, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग,मृत्युंजय महापात्रा: जलवायु परिवर्तन के कारण गेहूं और चावल की पैदावार में 6 से 10 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है, जो किसानों और खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।

एम रविचंद्रन, सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय: जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय और उसके मैदानी इलाकों में जल संकट बढ़ने की संभावना है, जिससे अरबों लोगों को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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