देहरादून: उत्तराखंड की ग्राम और क्षेत्र पंचायतों में प्रशासक की तैनाती को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। एक सप्ताह पहले पंचायतों में प्रशासक की तैनाती के संबंध में गठित समिति ने शासन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी, लेकिन तीन दिन बीतने के बावजूद शासन स्तर से इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इस देरी से पंचायत प्रतिनिधियों में नाराजगी बढ़ रही है।
गौरतलब है कि शासन ने प्रदेश के 12 जिलों में निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त किया है, जबकि हरिद्वार जिले को इससे बाहर रखा गया है। ग्राम पंचायतों में सहायक विकास अधिकारियों और क्षेत्र पंचायतों में उप जिलाधिकारियों को प्रशासक बनाया गया है। पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि उन्हें भी जिला पंचायतों की तर्ज पर प्रशासक नियुक्त किया जाए।
इस मुद्दे पर पंचायत प्रतिनिधि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिल चुके हैं, और मुख्यमंत्री ने इस पर विचार करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति को 9 दिसंबर तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश था, जिसे 10 दिसंबर को शासन को सौंप दिया गया। अब तक शासन से कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया गया है, जिससे पंचायत प्रतिनिधियों में असंतोष है।
पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि अगर जल्द इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं लिया गया, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।
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