अल्मोड़ा – अल्मोड़ा के मौलेखाल गांव तक सड़क न होने और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से एक बुजुर्ग महिला को जान गंवानी पड़ी। घर पर ही गिरने से घायल हुईं महिला को समय पर इलाज नहीं मिला। उन्हें चरपाई के सहारे अस्पताल ले जाने के लिए आठ किमी दूरी पैदल तय करनी पड़ी। अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा न मिलने से हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। दिल्ली ले जाने पर उन्होंने दम तोड़ दिया।
सल्ट के खदेरागांव निवासी 70 वर्षीय गोविंदी देवी 26 फरवरी को घर पर ही गिरकर घायल हो गईं थीं। गांव तक सड़क न होने से परिजन ग्रामीणों की मदद से उन्हें चारपाई के सहारे अस्पताल पहुंचाने के लिए रवाना हुए। मुख्य सड़क तक की आठ किमी की दूरी किसी तरह पांच घंटे में पूरी की गई। इसके बाद वाहन के जरिये पांच किमी दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) देवायल में भर्ती कराया गया। गंभीर हालत का हवाला देकर डॉक्टरों ने हायर सेंटर ले जाने की सलाह दी। परिजन रामनगर पहुंचे तो यहां भी हायर सेंटर जाने की सलाह दी गई। थके हारे परिजन 27 फरवरी को उन्हें दिल्ली उनके बेटे के पास ले गए। वहां से अस्पताल ले जाने पर गोविंदी को नहीं बचाया जा सका।
गोविंदी को देवायल सीएचसी पहुंचाया गया तो उसके सिर पर लगी चोट देख डॉक्टरों ने न्यूरो सर्जन या फिजिशियन की जरूरत बताई और रेफर कर दिया गया। जिले में संचालित किसी भी सरकारी अस्पताल के साथ ही सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज में भी न्यूरो के डॉक्टर न होने से परिजन उन्हें जिला मुख्यालय पहुंचाने की हिम्मत नहीं कर सके और बेहतर उपचार की उम्मीद में उन्हें दिल्ली ले गए मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
सल्ट का खदेरागांव सड़क न पहुंचने से पलायन की मार झेल रहा है। हालात यह है कि एक दशक पूर्व यहां निवास करने वाली 500 की आबादी अब सिर्फ 200 रह गई है। युवाओं ने पूरी तरह पलायन कर लिया। यहां केवल बूढ़े-बुजुर्ग ही रह रहे हैं। प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल में एक भी छात्र न होने से इनमें ताले लटकाने पड़े हैं। मरीजों को सड़क तक चारपाई से लाने के लिए युवाओं को खोजने में ही घंटों समय लग गया।
डॉ. अक्षय, प्रभारी चिकित्साधिकारी, सीएचसी, देवायल ने बताया की घायल महिला को अस्पताल लाया गया था, उसकी गंभीर हालत को देखते हुए हायर सेंटर रेफर किया गया। उनके सिर में गंभीर चोट थी।
खदेरागांव प्रधान हेमा देवी ने कहा गांव की वृद्धा गिरकर घायल हो गई। सड़क न होने से उसे किसी तरह चरपाई के सहारे अस्पताल पहुंचाया गया। चरपाई से ले जाने के लिए युवा नहीं मिले। यदि सड़क होती तो महिला को अपनी जान न गंवानी पड़ती।