Uttarakhand
आपदा में सब कुछ तबाह, लेकिन मां राजराजेश्वर की मूर्ति ने किया चमत्कार…जानिए कैसे!
मां राजराजेश्वर
उत्तरकाशी – उत्तरकाशी ज़िले के धराली गाँव में आई भीषण आपदा के 12 दिन बाद सर्च अभियान के दौरान एक चमत्कारिक घटना सामने आई है। शनिवार को मलबे की खुदाई के दौरान गलाणथोक की कुलदेवी राजराजेश्वरी माता की चांदी की मूर्ति, उनकी कटार, और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ पूरी तरह सुरक्षित अवस्था में मिलीं। यह दृश्य देखकर आपदा से जूझ रहे ग्रामीणों की आंखें नम हो गईं और पूरा क्षेत्र आस्था के भाव में डूब गया।
ग्रामीणों ने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब माँ राजराजेश्वरी की मूर्ति किसी आपदा में सुरक्षित मिली हो। गलाणथोक के निवासी राजेश पंवार के अनुसार, 1970 और 1980 के दशक में गाँव में भीषण आग लगी थी, तब भी सिर्फ माँ का स्थान ही आग की चपेट में आने से बचा था। इस बार भी जब आपदा ने पुराने गाँव के भवनों को पूरी तरह जमींदोज कर दिया, तब भी माँ की मूर्ति एक पेड़ के नीचे दबे होने के बावजूद बिल्कुल सुरक्षित अवस्था में बरामद हुई।
आपको बता दें कि 5 अगस्त को धराली में अचानक आई भीषण आपदा ने पूरे गाँव को तबाह कर दिया था। गलाणथोक में स्थित वर्षों पुराना भवन और उसमें स्थापित कुलदेवी का मंदिर मलबे में दब गया था। ग्रामीणों को उम्मीद नहीं थी कि देवी की मूर्ति और अन्य धार्मिक प्रतीक दोबारा मिल पाएंगे। लेकिन जब रेस्क्यू टीम ने लगभग 5 से 10 फीट नीचे खुदाई की, तो पहले एक बड़ा पेड़ मिला, जिसे हटाने के बाद माँ राजराजेश्वरी की चांदी की मूर्ति, उनके कटार, पंचमुखी शिव की मूर्ति और पाँच पांडवों की मूर्तियाँ सुरक्षित रूप से प्राप्त हुईं।
रेस्क्यू टीम द्वारा जब यह सूचना ग्रामीणों तक पहुंचाई गई, तो बड़ी संख्या में लोग मौके पर पहुँच गए। माँ के दर्शन करते ही लोगों की आंखें भर आईं और वातावरण भक्ति और भावुकता से सराबोर हो गया।
इस समय धराली में सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है। मलबे में फंसे लापता लोगों की तलाश के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही, आपदा प्रभावित लोगों के पुनर्वास और आजीविका सुदृढ़ीकरण की दिशा में भी कार्य चल रहा है। बीते दिनों धराली में उच्चस्तरीय समिति ने गाँव के लोगों से बातचीत कर पुनर्वास प्रक्रिया को गति देने की दिशा में सुझाव एकत्र किए।
देवी मूर्तियों का सुरक्षित मिलना जहाँ ग्रामीणों के लिए एक आशा की किरण है, वहीं यह घटना जनमानस में आस्था और श्रद्धा का प्रतीक भी बन गई है।