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उत्तराखंड में 15 फरवरी से शुरू होगा फायर सीजन , वन कर्मियों के लिए जारी हुए सख्त निर्देश…..

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देहरादून : उत्तराखंड में जंगल की आग के खतरे को देखते हुए 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो रहा है। इस संबंध में वन मुख्यालय ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि विशेष परिस्थितियों में ही वन कर्मियों को अवकाश दिया जाएगा और उन्हें अपने कार्य क्षेत्र में ही बने रहने की निर्देश दिए गए हैं।

प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन ने कहा कि इस बार जंगल की आग को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं और कर्मियों के अवकाश को लेकर भी स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने बताया कि आग की घटनाओं से निपटने के लिए एक सुसंगत और समन्वित रणनीति तैयार की गई है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वनाग्नि की पिछली घटनाओं में आई समस्याओं को ध्यान में रखते हुए आगे की योजनाओं को तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि वनाग्नि पर प्रभावी नियंत्रण के लिए सभी विभागों को एकजुट होकर कार्य करना होगा। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने वनाग्नि की घटनाओं को रोकने में सामाजिक संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, महिला मंगल दलों, युवक मंगल दलों और वन पंचायतों से भी सहयोग लेने की बात कही।

सीएम धामी का मॉक ड्रिल में बयान
मुख्यमंत्री धामी ने यह निर्देश गुरुवार को राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचकर वनाग्नि नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सहयोग से आयोजित मॉक ड्रिल के दौरान अधिकारियों को दिए। इस मॉक ड्रिल में विभिन्न विभागों और अधिकारियों ने वनाग्नि पर नियंत्रण के उपायों पर चर्चा की और योजनाओं का परीक्षण किया।

शीतलाखेत मॉडल की सराहना
मुख्यमंत्री ने राज्य में वनाग्नि पर प्रभावी नियंत्रण के लिए शीतलाखेत आदर्श मॉडल की सराहना की। उन्होंने कहा कि शीतलाखेत मॉडल यह दर्शाता है कि वनों को बचाने में समुदाय किस प्रकार अपना रचनात्मक और सकारात्मक योगदान दे सकते हैं। यह मॉडल एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकता है।

 

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