रुद्रप्रयाग : रुद्रप्रयाग जनपद में पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कार्तिकेय-कनकचौंरी पर्यावरण विकास समिति (ईडीसी) का गठन किया गया है। यह पहल जनपद में पहली बार की गई है, जिसमें वन विभाग के आरक्षित क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पर्यटन और एडवेंचर गतिविधियों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
यह समिति कनकचौंरी से कार्तिक स्वामी मंदिर तक चार किमी पैदल मार्ग का रखरखाव और साफ-सफाई सुनिश्चित करेगी, साथ ही पर्यटन गतिविधियों का संचालन भी करेगी। उत्तर भारत के एकमात्र कार्तिक स्वामी मंदिर तक पहुंचने के लिए लंबे समय से तीर्थयात्रियों का आना जारी है, जो इस क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य से अभिभूत होते हैं।
ईडीसी का उद्देश्य: पर्यावरण संरक्षण और रोजगार के अवसर
रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी देवेंद्र सिंह पुंडीर ने बताया कि यह समिति कनकचौंरी से कार्तिक स्वामी मंदिर तक स्थित नैनादेवी आरक्षित वन क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों और जैव-विविधता की सुरक्षा करेगी। इसके साथ ही, स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे। समिति का लक्ष्य इको-फ्रेंडली कार्यों के माध्यम से पर्यटन और एडवेंचर गतिविधियों को बढ़ावा देना है।
पार्किंग शुल्क और सफाई कर्मियों के लिए मानदेय
कार्तिकेय-कनकचौंरी पर्यावरण विकास समिति ने यह भी घोषणा की है कि वह कार्तिक स्वामी मंदिर तक आने वाले बाहरी पर्यटकों से शुल्क लेगी, लेकिन चमोली और रुद्रप्रयाग जिले के पर्यटकों को शुल्क से मुक्त रखा जाएगा। यह शुल्क काउंटर पर जमा किया जाएगा, जिसका उपयोग सफाई और अन्य कार्यों के लिए कर्मियों को मानदेय देने में किया जाएगा।
बर्ड वाचिंग प्रशिक्षण का आयोजन
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इस पैदल मार्ग पर बर्ड वाचिंग का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, क्योंकि यहां 80 से अधिक पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 50 से अधिक प्रजातियां इस क्षेत्र में वर्षभर रहती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रशिक्षण युवा लोगों के लिए रोजगार का एक अच्छा अवसर हो सकता है। वन विभाग का उद्देश्य इस क्षेत्र को ट्रैकिंग के लिए और अधिक विकसित करना है।