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पौड़ी के पोस्ट मास्टर का हिंदी आवेदन पत्र गलत, डाक विभाग की शैक्षणिक जांच पर उठे सवाल….

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पौड़ी : डाक विभाग में हाल ही में चयनित डाक सेवकों के हिंदी में आवेदन पत्र लिखने में असमर्थता का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि अब एक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है। इस बार पौड़ी जिले में चयनित शाखा डाकपाल (पोस्ट मास्टर) के हिंदी में आवेदन पत्र न लिख पाने का मामला चर्चा का विषय बन गया है। यह घटना विभागीय अधिकारियों के लिए एक सिरदर्द बन चुकी है, खासकर तब जब चयनित शाखा डाकपाल ने हाईस्कूल की बोर्ड परीक्षा में हिंदी में 95 अंक प्राप्त किए थे।

अजीब आवेदन पत्र, अशुद्धियां भरपूर

मंगलवार को प्रधान डाकघर पौड़ी में एक चयनित शाखा डाकपाल अपनी नियुक्ति के लिए पहुंचे थे। डाक अधीक्षक दीपक शर्मा ने उनसे आवेदन पत्र हिंदी में लिखने को कहा, लेकिन जब आवेदन पत्र देखा गया तो उसमें कई अशुद्धियां पाई गईं। चयनित डाकपाल ने “अधीशय” (अध्यक्ष) की जगह “अदीशय”, “महोदय” को “मेव्य”, “डाकघर” को “ढाकघर” और “पौड़ी” को “पैटी” लिखा था। इसके अलावा, अंकों को भी गलत तरीके से हिंदी में लिखा गया। उदाहरण के तौर पर, 1500 को “पद्रासै”, 2750 को “सताइसे” और 3531 को “तीन हजार पानसे कतीस” लिखा गया था।

यह स्थिति डाक विभाग के लिए न केवल आश्चर्यजनक, बल्कि चिंताजनक भी है, क्योंकि विभाग की छवि पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है, खासकर तब जब चयनित व्यक्ति ने हाईस्कूल की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए हों।

चयन प्रक्रिया पर उठ रहे हैं गंभीर सवाल

इस घटना के बाद डाक विभाग की चयन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। डाक अधीक्षक दीपक शर्मा ने मामले को लेकर रिपोर्ट डाक परिमंडल देहरादून को भेज दी है। उन्होंने कहा कि चयनित शाखा डाकपाल की तैनाती को लेकर उच्च अधिकारियों के दिशा-निर्देश के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी।

इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या डाक विभाग की चयन प्रक्रिया और शैक्षणिक योग्यता की जांच पूरी तरह से पारदर्शी और सटीक है। अगर एक व्यक्ति, जिसने हिंदी में अच्छे अंक प्राप्त किए थे, ऐसे आवेदन पत्र लिख सकता है, तो चयन प्रक्रिया में गड़बड़ियों की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

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चयनित डाकपाल की शैक्षणिक योग्यता

चयनित शाखा डाकपाल, हरियाणा के खरकरामजी जींद के निवासी हैं और उन्होंने 2021 में हरियाणा बोर्ड से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की है। उन्हें हिंदी और अंग्रेजी विषय में 95-95 अंक प्राप्त हुए थे। इसके अलावा, गणित और सामाजिक विज्ञान में 90-90 अंक, और विज्ञान में 100 अंक मिले थे। उनके शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच पहले ही की जा चुकी थी, और वे सही पाए गए थे।

हालांकि, हिंदी में आवेदन पत्र न लिख पाने और अंकों को गलत तरीके से लिखने की घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या चयनित व्यक्ति का वास्तविक ज्ञान और दक्षता प्रमाणपत्रों से मेल खाता है? क्या विभागीय अधिकारियों ने इस चयन प्रक्रिया के दौरान सभी पहलुओं की सही जांच की थी?

डाक विभाग में शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच की जा रही है

इस घटना के बाद, डाक अधीक्षक ने बताया कि शैक्षणिक दस्तावेजों की प्राथमिक जांच पहले ही की जा चुकी है, और वे सही पाए गए थे। लेकिन अब यह जरूरी हो गया है कि डाक विभाग अपने चयन प्रक्रिया के साथ-साथ दस्तावेजों की जांच की प्रक्रिया को और भी मजबूत बनाए।

पिछले कुछ माह में हुईं कई गड़बड़ियां

यह पहली बार नहीं है, जब डाक विभाग की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं। इससे पहले अक्टूबर महीने में डाकघर पौड़ी में कुछ ग्रामीण डाक सेवकों के शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी पाए गए थे। उत्तर प्रदेश के दो चयनित ग्रामीण डाक सेवकों के दस्तावेज फर्जी थे, जबकि मध्य प्रदेश के दो ग्रामीण डाक सेवक जांच की बात सुनते ही भाग गए थे। इसके अलावा, एक चयनित सहायक शाखा डाकपाल, जो छत्तीसगढ़ से था, ज्वाइनिंग के बाद अचानक गायब हो गया था।

इन घटनाओं ने डाक विभाग की चयन प्रक्रिया और शैक्षणिक योग्यता की जांच पर गंभीर सवाल उठाए हैं। यह घटनाएं दर्शाती हैं कि विभाग को अब अपने चयन और भर्ती प्रक्रिया को लेकर अधिक सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

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विभाग को उठाने होंगे कड़े कदम

इन घटनाओं से साफ है कि डाक विभाग को अपनी चयन प्रक्रिया और शैक्षणिक योग्यता की जांच प्रणाली को और मजबूत करना होगा। चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के साथ-साथ, अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि चयनित व्यक्ति के पास न केवल शैक्षणिक दस्तावेज सही हों, बल्कि उनकी वास्तविक योग्यता भी प्रमाणित हो। अन्यथा, विभाग की प्रतिष्ठा को नुकसान हो सकता है।

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