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नैनीताल में उपराष्ट्रपति ने आपातकाल को बताया लोकतंत्र का काला अध्याय
नैनीताल: ने आज कुमाऊँ विश्वविद्यालय के 50वें स्वर्ण जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि भाग लिया। समारोह में उन्होंने लोकतंत्र की चुनौतियों, ऐतिहासिक महत्व तथा शिक्षा और युवाओं के योगदान पर गहराई से विचार व्यक्त किए।
धनखड़ ने कहा पचास वर्ष पहले उसी दिन विश्व के सबसे पुराने, सबसे बड़े लोकतंत्र को एक अप्रत्याशित संकट आपातकाल ने घेर लिया था। वह रात अंधेरी थी जब कैबिनेट को किनारे रखते हुए, व्यक्तिगत हितों के लिए निर्णय हुआ और राष्ट्रपति ने संवैधानिक मूल्यों को कुचलते हुए आपातकाल की घोषणा की। इसके बाद 21–22 महीनों में लोकतंत्र ने अकल्पनीय अंधकार देखा।
उन्होंने आगे बताया कि उस दौर में न्यूनाधिक अधिकारों की रक्षा करना मुश्किल था और हजारों नागरिकों की आवाज दबा दी गई थी।
पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ ने बताया कि नौ उच्च न्यायालयों ने साहस दिखाकर मौलिक अधिकारों की रक्षा की, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इन निर्णयों को पलट दिया और कहा— आपातकाल कार्यपालिका का निर्णय है और यह न्यायिक समीक्षा के अधीन नहीं होगा।
उन्होंने भारत के न्यायाधीश H.R. Khanna की सराहना की, जिनकी असहमति को अमेरिका के एक प्रमुख अखबार ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए यादगार कदम बताया।
धनखड़ ने कहा संविधान हत्या दिवस’ के रूप में इस दिन को मनाना जरूरी है ताकि युवा उसकी गंभीरता समझें— प्रेस सेंसरशिप, विपक्षियों की गिरफ्तारी, नागरिक अधिकारों का हनन— जो बाद में देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बने, उनकी भूमिका पर भी सवाल उठने चाहिए। संविधान की आत्मा की रक्षा हमारी जिम्मेदारी है।
उपराष्ट्रपति ने परिसर-आधारित शिक्षा की भूमिका पर जोर देते हुए कहा, “यूनिवर्सिटी सिर्फ डिग्री देने का स्थान नहीं हैं—यह विचार और नवाचार का जैविक केन्द्र हैं। ‘Just Do It’ के साथ ‘Do It Now’ का महत्व समझिए—विचारों का समय अब है।
धनखड़ ने पूर्व छात्र संघ की स्थापना पर बल देते हुए कहा कि अगर 1 लाख पूर्व छात्र सालाना ₹10,000 दें, तो 100 करोड़ रुपये जुट सकते हैं। इससे विश्वविद्यालय विकसित हो सकता है और आत्मनिर्भर बन सकता है।
समारोह की शुरुआत उपराष्ट्रपति द्वारा ‘माँ के नाम’ अभियान के तहत दो पौधे लगाने से हुई अपने माता-पिता की स्मृति में एक हरा-भरा संदेश।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि), स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत, विधायक सरिता आर्या, राम सिंह कैड़ा, पूर्व सांसद महेंद्र पाल, और विश्वविद्यालय सहित विभिन्न विभागों के उच्च अधिकारी समारोह में मौजूद रहे।