Dehradun
उत्तराखंड में विद्यालयों की भूमि पर अतिक्रमण की बढ़ती घटनाएँ, सरकार लाएगी प्रस्ताव…
देहरादून – उत्तराखंड में बढ़ती जमीनों की कीमतों के चलते माफिया की नजर न केवल नदियों और नालों पर, बल्कि हजारों विद्यालयों की भूमि पर भी पड़ने लगी है। अतिक्रमण की बढ़ती घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है, खासकर उन 4,891 विद्यालयों की भूमि पर, जिन्हें दान में मिली थी, लेकिन अब तक उनके नाम पर रजिस्ट्री नहीं की गई है।
शिक्षा मंत्री के निर्देश
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे विद्यालयों की भूमि से अतिक्रमण को हटाएं और भूमि की रजिस्ट्री शीघ्र पूर्ण करें। उन्होंने कहा, “हर विद्यालय की भूमि उसके नाम दर्ज होनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन विद्यालयों के नाम पर भूमि की रजिस्ट्री नहीं होगी, उन्हें समग्र शिक्षा के तहत वित्तीय सहायता नहीं दी जाएगी।
अतिक्रमण की बढ़ती घटनाएँ
राज्य में माध्यमिक शिक्षा के तहत 591 और प्रारंभिक शिक्षा के 4,300 विद्यालयों के नाम पर भूमि की रजिस्ट्री नहीं है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, भूमि की कीमतों में वृद्धि के कारण विद्यालयों की भूमि पर अतिक्रमण की घटनाएँ बढ़ रही हैं। कुछ मामलों में, भूमि स्कूल के लिए दान में दी गई थी, लेकिन नई पीढ़ी अब उस पर अपना हक जता रही है।
रजिस्ट्री के लिए नई नीति
देहरादून में सचिवालय के सामने स्थित एक सरकारी जूनियर हाईस्कूल की 200 करोड़ रुपये मूल्य की भूमि को कानूनी दांव-पेंच में उलझाकर स्कूल को स्थानांतरित कर दिया गया। शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य में लगभग 17,000 सरकारी विद्यालय हैं, जिनमें से अधिकतर के नाम पर भूमि की रजिस्ट्री करवाई जा चुकी है। जिन विद्यालयों के नाम पर रजिस्ट्री नहीं है, उनके लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं।
वन भूमि वाले विद्यालयों के लिए नीति
कुछ विद्यालयों की भूमि वन भूमि पर स्थित है, और उनकी रजिस्ट्री के लिए भी एक नई नीति बनाई जाएगी। इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा।
अपर निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा, आरएल आर्य ने कहा कि विद्यालयों को अतिक्रमण से मुक्त रखने के लिए भूमि की रजिस्ट्री आवश्यक है, ताकि कोई व्यक्ति दान में मिली स्कूल की जमीन पर अपना हक न जता सके।
डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि आज शिक्षा निदेशालय में विभाग की बैठक रखी गई है। बैठक में स्कूल की भूमि की रजिस्ट्री के मामले की समीक्षा की जाएगी।
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