Dehradun

उत्तराखंड में ड्रोन पोर्ट और ड्रोन कॉरिडोर बनाने की दिशा में आईटीडीए की पहल, ट्रैफिक प्रबंधन सॉफ्टवेयर होगा तैयार !

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देहरादून: हाल ही में डीजीसीए से अनुमति मिलने के बाद, उत्तराखंड में आईटीडीए ने ड्रोन पोर्ट और ड्रोन कॉरिडोर बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके साथ ही, ड्रोनों के ट्रैफिक प्रबंधन के लिए मानवरहित यातायात प्रबंधन सॉफ्टवेयर भी तैयार किया जा रहा है।

आईटीडीए ने भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ड्रोन के टेकऑफ, लैंडिंग और रखरखाव के लिए ड्रोन पोर्ट डिजाइन, विकास और संचालन की दिशा में काम शुरू कर दिया है। इसके अतिरिक्त, मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) के लिए सुरक्षित और कुशल हवाई यातायात सुनिश्चित करने के लिए समर्पित ड्रोन कॉरिडोर बनाने और वास्तविक समय में ड्रोन संचालन की निगरानी के लिए यूटीएम सॉफ्टवेयर लागू करने की प्रक्रिया को भी तेज कर दिया गया है।

आईटीडीए की निदेशक नितिका खंडेलवाल ने कहा कि सरकार ड्रोन के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के साथ-साथ वाणिज्यिक और सरकारी अनुप्रयोगों में ड्रोन के सुरक्षित और अनुकूलित उपयोग की दिशा में काम कर रही है। इस पहल के तहत विभिन्न रुचि की अभिव्यक्तियां (ईओआई) जारी की गई हैं, और इसमें काम करने वाली संस्थाओं से उनके कॉन्सेप्ट मंगवाए जाएंगे। इसके आधार पर निविदा की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

छह कॉरिडोर बनाए जाएंगे, जो आपस में जुड़े होंगे
उत्तराखंड में ड्रोन की आवाजाही को बढ़ावा देने के लिए छह कॉरिडोर बनाए जाएंगे, जिनमें तीन गढ़वाल और तीन कुमाऊं में होंगे। ये सभी कॉरिडोर आपस में जुड़े होंगे, और इसके लिए डीजीसीए से पहले ही अनुमति मिल चुकी है। विशेषज्ञों की मदद से बनाए गए इस नेटवर्क से हवाई सेवाओं में कोई रुकावट नहीं आएगी। समर्पित कॉरिडोर के बनने के बाद, गढ़वाल से कुमाऊं के बीच ड्रोन की आवाजाही भी सुगम हो सकेगी।

 

 

 

 

 

 

 

 

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