उत्तरकाशी : नगर निकाय चुनावों में उम्मीदवारों द्वारा कई गांवों के लोगों के नाम नगर पंचायतों, नगर पालिकाओं और नगर निगमों की वोटर लिस्ट में चढ़ाने का मामला सामने आया है। लेकिन अब लोग यह आरोप लगा रहे हैं कि पंचायत चुनाव में नाम काटने का भय दिखाकर उन्हें तीन दिन में जवाब देने का नोटिस दिया जा रहा है। इस मामले को लेकर लोगों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।
जब मीडिया ने इस बारे में उपजिलाधिकारी बड़कोट से जानकारी ली, तो उनका कहना था कि वोटर का नाम सिर्फ एक ही स्थान पर होना चाहिए, ना कि दो-दो जगह। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप की जा रही है। लेकिन नागरिकों का कहना है कि नगर निकाय तभी बनती है, जब नगर की आबादी बढ़ती है। अगर यही मानक है, तो ग्राम पंचायत क्यों नहीं बनाई गई?
लोगों ने सवाल उठाया कि विधायक, सांसद या नेता कई स्थानों पर वोट डाल सकते हैं, तो फिर आम जनता को क्यों परेशान किया जा रहा है? क्या उनके नगर पालिकाओं में मकान होने के बावजूद वोट डालने का अधिकार नहीं है? इन सवालों ने प्रशासन के खिलाफ असंतोष और विरोध बढ़ा दिया है।
इस संबंध में स्थानीय लोग यह भी कहते हैं कि जब नगर निकाय चुनाव की वोटर लिस्ट तैयार हो रही थी, तब बीएलओ और स्थानीय प्रशासन ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया था। अब सात दिन का आपत्ति उठाने का समय दिया गया था, लेकिन फिर भी बड़कोट का चुनाव इतना हाईटेक क्यों हुआ?
अब चुनाव के बाद ग्राम पंचायत के वोटरों और उम्मीदवारों के लिए नगर में वोट डालना एक जटिल और कठिन प्रक्रिया बनती जा रही है, जो उनके लिए एक गले की फांस बन चुका है। लोग यह चाहते हैं कि उनकी समस्याओं का समाधान शीघ्र किया जाए और उन्हें चुनाव में भाग लेने के लिए कोई और बाधाएं न उत्पन्न हों।