Dehradun

वीर–बाल दिवस के अवसर पर राज्यपाल गुरमीत सिंह ने वीर साहिबजादों का भावपूर्ण किया स्मरण दी श्रद्धाजंलि।

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देहरादून – वीर–बाल दिवस के अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने वीर साहिबजादों का भावपूर्ण स्मरण किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि पीएम ने आज के दिन को वीर बालको के शौर्य, बलिदान को गर्व के रूप में मनाया है और सम्मान दिया है,राज्यपाल गुरमीत सिंह ने बाबा जोरावर सिंह, बाबा फतेह सिंह एवं माता गुजरी के बलिदान को याद करते हुए अपनी श्रद्धाजंलि दी है।

राज्यपाल ने कहा कि वीर बाल दिवस भारतीयों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है, जो राष्ट्र की प्रगति में बच्चों के अमूल्य योगदान को याद करता है। वीर बाल दिवस न केवल उन्हें बल्कि अनगिनत बच्चों को भी श्रद्धांजलि देता है, जिन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों में असाधारण बहादुरी दिखाई है।


राज्यपाल ने कहा कि हर साहसी बच्चे के पीछे एक परिवार खड़ा होता है जो सच्चे धैर्य का प्रतीक है, और सिख समुदाय कोई अपवाद नहीं है।
राज्यपाल ने कहा कि साहिबजादों के परिवार, विशेष रूप से उनकी मां, माता गुजरी जी ने प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए अद्वितीय शक्ति और विश्वास का प्रदर्शन किया। उनका बलिदान आज चुनौतियों का सामना कर रहे सिख परिवारों के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में काम करता है। वीर बाल दिवस मानते हुए हम न केवल बचपन की खुशी और मासूमियत का आनंद लें, बल्कि सिख धर्म के संदर्भ में असाधारण बच्चों और उनके परिवारों के लचीलेपन, ताकत और बलिदान पर भी विचार करें। साहिबजादों की विरासत और सिख इतिहास में अंतर्निहित बलिदान हमें याद दिलाते हैं कि करुणा, बहादुरी और न्याय के मूल्य युगों से बने हुए हैं।

राज्यपाल ने कहा कि विश्व के इतिहास में केवल गुरु गोविंद सिंह जी ही ऐसे महापुरुष हुए, जिनको शहीद पिता के बेटे और शहीद बेटों के पिता होने का गौरव प्राप्त था। इन युवा नायकों का सम्मान करके, हम एक ऐसी दुनिया बनाने की प्रतिज्ञा करते हैं जहां हर बच्चा, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, सीख सकता है, और शांति और प्रेम के माहौल में पनप सकता है। ऐसा करते हुए, हम यह सुनिश्चित करते हैं कि सिख इतिहास और उससे परे इन युवा नायकों के बलिदानों को कभी भुलाया न जाए। राज्यपाल ने कहा कि सिख धर्म अपनी उत्पत्ति के बाद से ही समाज में एक सकारात्मक संदेश देने का कार्य कर रहा है। यह मात्र कोई धर्म नहीं बल्कि राष्ट्रप्रेम की भावना को साथ में रखकर जीवन जीने की सभ्यता है।

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