Uttarakhand

रवांई घाटी: एक मात्र प्राचीन सूर्य मंदिर प्रचार-प्रसार के अभाव में हो गया गुमनाम, गर्भगृह पर पड़ती है सूरज की पहली किरण

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उत्तरकाशी – रवांई घाटी का एक मात्र प्राचीन सूर्य मंदिर प्रचार-प्रसार के अभाव में गुमनाम है। मंदिर का निर्माण ऐसी जगह पर किया गया है, जहां सूरज की पहली किरण गर्भगृह पर चमकती है। सदियों पुराने सूर्य मंदिर के संरक्षण की पुरातत्व विभाग और संस्कृति विभाग सुध नहीं ले रहा है।

विकासखंड मुख्यालय से महज सात किमी की दूरी पर स्थित मंजियाली गांव में सदियों पुराना प्राचीन सूर्य मंदिर स्थित है, जो क्षेत्र का एक मात्र सूर्य मंदिर है। जिसे गांव के लोग मूसा देवरी के नाम से जानते हैं। मंदिर की ऊंचाई करीब साढ़े सात फिट है। मंदिर की बनावट में काले रंग के पत्थरों के अलावा किसी अन्य वस्तु का प्रयोग नहीं किया गया है। प्रवेश द्वार को छोड़ कर तीनों तरफ पत्थरों की चिनाई में गणेश, कार्तिकेय और शंकर की प्रतीकात्मक मूर्तियों को उकेरा गया है।

ग्रामीणों का कहना है कि मंदिर का आधा हिस्सा काफी समय तक मिट्टी में दबा हुआ रहा। करीब 15 साल पहले एक बाबा ने यहां कुटिया बनाकर शरण ली थी और मंदिर के चारों तरफ खोदाई करवाई। खोदाई में पत्थर के दो स्तंभ क्षतिग्रस्त हो गए थे। ग्राम प्रधान प्रकाश रावत का कहना है कि मंदिर गांव के सबसे ऊंचाई वाले स्थान पर है, जहां सूरज की पहली किरण प्रवेश द्वार पर पड़ती है। उन्होंने पुरातत्व और संस्कृति विभाग से मंदिर के संरक्षण की मांग की है।

अधीक्षण पुरातत्वविद्, एएसआई,मनोज सक्सेना ने कहा कि इस मंदिर की जानकारी नहीं है। संबंधित गांव के प्रधान या तहसील के एसडीएम इस मंदिर के संबंध में विभाग से संपर्क करें तो विभाग की टीम मंदिर का निरीक्षण करेगी। वहां अभी भी पुरातत्व महत्व की धरोहर मिलने की संभावना है, तो खोदाई भी की जाएगी। 

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