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SLBC सुरंग हादसा: 40 मीटर से अधिक की दूरी पर फंसे श्रमिकों के लिए बचाव अभियान में मुश्किलें…

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तेलंगाना: तेलंगाना के नगरकुरनूल जिले में शनिवार को श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) परियोजना की सुरंग का एक हिस्सा ढहने के बाद से आठ श्रमिक सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं। चार दिन से चल रहे बचाव कार्य के बावजूद इन श्रमिकों को बचाने की संभावनाएं लगातार कम होती जा रही हैं। बढ़ते जलस्तर और कीचड़ के कारण बचाव कार्य में काफी दिक्कतों का सामना किया जा रहा है।

गंभीर स्थिति को देखते हुए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) के विशेषज्ञों को बचाव प्रयासों में शामिल किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, फंसे हुए आठ श्रमिकों को बचाने के लिए आगे के रास्ते पर विचार किया जा रहा है। नागरकुरनूल के जिलाधिकारी बी. संतोष ने मंगलवार को कहा कि सुरंग की स्थिरता का ध्यान रखते हुए पानी निकालने का काम जारी है। इसके साथ ही एलएंडटी की ऑस्ट्रेलियाई इकाई को भी मदद के लिए बुलाया गया है, जो सुरंगों के बारे में व्यापक अनुभव रखती है।

बचाव टीम को सुरंग में अब तक 40 से 50 मीटर तक की दूरी तक पहुंचने में कठिनाई हो रही है। यहां कीचड़ और मलबा जमा हो गया है, जिससे बचाव कार्य में रुकावट आ रही है। विशेष रूप से सुरंग के आखिरी हिस्से में बचाव कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा है। जीएसआई, एनजीआरआई और एलएंडटी के विशेषज्ञों द्वारा स्थिरता का आकलन किया जा रहा है।

इस दुर्घटना के बाद बचाव कार्यों के लिए उत्तराखंड के सिल्क्यारा बेंड-बरकोट सुरंग में श्रमिकों को बचाने में मदद करने वाली ‘रैट माइनर्स’ की टीम भी शामिल हो गई है। इसके अतिरिक्त, सेना, नौसेना, एनडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के 584 कुशल कर्मियों ने बचाव कार्यों में भाग लिया है और अब तक सात बार सुरंग का निरीक्षण किया है।

सुरंग के अंदर फंसे लोगों को ढूंढने के लिए खोजी कुत्तों का भी इस्तेमाल किया गया था, लेकिन पानी की मौजूदगी और बढ़ते जलस्तर के कारण कुत्ते आगे नहीं बढ़ पाए।

सीएम ने दिए बचाव कार्यों में तेज़ी लाने के निर्देश
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाए और बचाव कार्यों में तेजी लाई जाए।

मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव ने कहा कि सुरंग में फंसे लोगों के जीवित बचने की संभावना ‘‘बहुत कम’’ है। उन्होंने कहा कि कीचड़ और मलबे के कारण बचाव कार्य में अत्यधिक कठिनाइयाँ आ रही हैं और इसमें कम से कम तीन से चार दिन और लग सकते हैं।

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