Uttarakhand

चार किलोमीटर दूर है शहर, लेकिन पहुंचना जान जोखिम में डालने जैसा !

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उत्तरकाशी: जनपद मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित स्यूंणा गांव के ग्रामीणों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक ओर जहां उन्हें बुनियादी सुविधाओं की कमी और सिस्टम की उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है…वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक जोखिम भी उनका पीछा नहीं छोड़ रहे हैं।

भटवाड़ी विकास खंड का यह गांव जिला मुख्यालय से महज चार किलोमीटर दूर है…लेकिन आज भी यहां के 35 से अधिक परिवार सड़क और पुल जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। बरसात के मौसम में हालात और भी खराब हो जाते हैं…जब भागीरथी नदी का जलस्तर बढ़ जाता है जिससे गांव का संपर्क बाहरी दुनिया से कट जाता है।

फिलहाल ग्रामीणों को नदी पार करने के लिए हस्तचालित ट्रॉली का सहारा लेना पड़ता है, जो कि न केवल जर्जर हालत में है…बल्कि अत्यधिक जोखिमपूर्ण भी हो चुकी है। बच्चों और महिलाओं के लिए इस ट्रॉली का उपयोग करना किसी खतरे से कम नहीं है।

दूसरी ओर जब लोग जंगल के रास्ते गांव से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं…तो उन्हें तेखला पुल से सटे जंगलों में गुलदार की मौजूदगी का भय सताता है। गुलदार के डर के कारण रात के समय निकलना असंभव हो जाता है और दिन में भी लोग आशंकित रहते हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से प्रशासन से पक्की सड़क या स्थायी पुल की मांग की जा रही है…लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। ऐसे हालात में गांव के लोग मानसून के महीनों में लगभग कैद होकर रह जाते हैं।

प्रशासन की अनदेखी और प्राकृतिक आपदाओं के खतरे के बीच स्यूंणा गांव के ग्रामीण बुनियादी हक़ के लिए जूझते नजर आ रहे हैं। अब ग्रामीणों ने सरकार से जल्द सुनवाई की अपील की है।

 

 

 

 

 

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