अल्मोड़ा – मरचूला बस हादसे में अपनी माता-पिता को खोने वाली चार साल की शिवानी की हालत अस्पताल में किसी को भी भावुक कर देने वाली थी। चार साल की बच्ची लगातार अस्पताल में बिलखते हुए “मम्मी-मम्मी” पुकार रही थी, और उसकी आवाज ने अस्पताल के कर्मचारियों को गहरे भावनात्मक प्रभाव में डाल दिया। किसी के लिए भी यह शब्द कहना आसान नहीं हो रहा था कि जिने वह पुकार रही है, वे अब कभी लौटकर नहीं आएंगे।
शिवानी का परिवार उस दुखद हादसे में पूरी तरह से तबाह हो गया है। उसकी मां चारू रावत और पिता मनोज रावत दोनों की मौत हो चुकी है, और अब शिवानी के सिर से उनके साये छिन गए हैं। इस छोटी सी बच्ची को सहारा देने के लिए उसके नाना हरिकृष्ण नेगी और नानी सुशीला देवी अस्पताल पहुंचे हैं, जो अपनी बेटी और दामाद को खोने के गम को छुपाकर अपनी नवासी की तीमारदारी में लगे हैं।
शिवानी की नानी बार-बार अपने आंचल से आंसू पोंछती नजर आ रही थीं। इस दर्दनाक दृश्य को देख अस्पताल में मौजूद लोग भी काफी भावुक हो गए थे। अस्पताल कर्मी किसी तरह बच्ची को शांत करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वह बार-बार अपनी मां को ढूंढ रही थी, जिससे यह और भी दर्दनाक हो गया।
शिवानी की हालत में सुधार लाने के लिए उसे रामनगर अस्पताल से एयरलिफ्ट कर एम्स ऋषिकेश भेजा गया है। करीब साढ़े तीन बजे बच्ची को एयरलिफ्ट किया गया।
शिवानी के पिता मनोज रावत रामनगर में उद्यान विभाग के फल संरक्षण में ट्रेनिंग सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत थे, जबकि उसकी मां चारू रावत गृहिणी थीं। रावत दंपती और उनकी बेटी शिवानी रामनगर में ईदगाह रोड पर आस्थान के फ्लैट में किराये पर रहते थे।
शिवानी के नाना हरिकृष्ण नेगी ने बताया कि दिवाली के दौरान उनका परिवार गांव आया हुआ था, और त्योहार के बाद सभी रामनगर लौटने वाले थे। उन्होंने बताया कि “मेरे दामाद के पिता की पहले ही मौत हो चुकी थी, और गांव में उनकी मां मालती देवी हैं। त्योहार के बाद मेरी बेटी और दामाद कभी वापस नहीं लौटेंगे, ऐसा कभी नहीं सोचा था। अब उनकी बेटी शिवानी की पूरी जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है।
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