Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश में ‘एक तिथि, एक त्योहार’ का नियम लागू होगा, मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर काशी विद्वत परिषद ने तैयार किया खाका !

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वाराणसी: उत्तर प्रदेश में अब ‘एक तिथि, एक त्योहार’ का नियम लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर काशी विद्वत परिषद ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। प्रदेश के व्रत, पर्व और अवकाश के निर्धारण के लिए अब बनारस से प्रकाशित पंचांग को आधार बनाया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य प्रदेश में त्योहारों और व्रतों की तिथियों में हो रहे अंतर को समाप्त करना है।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर काशी विद्वत परिषद ने ‘एक तिथि, एक त्योहार’ की योजना तैयार की है, जिसका खाका सात अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा जाएगा। इस पहल के तहत 2026 में प्रदेश के सभी त्योहारों और व्रतों की तिथियों को एकरूप किया जाएगा, और इसे नवसंवत्सर (2026) पर आम जनता के लिए लोकार्पित किया जाएगा। इससे प्रदेश के सभी त्योहारों और तिथियों में भेदभाव को समाप्त कर एकजुटता को बढ़ावा मिलेगा।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), काशी विद्वत परिषद और काशी के पंचांगकारों के सहयोग से काशी के पंचांगों के अंतर को दूर किया जा चुका है। अब काशी के पंचांगों में एकरूपता आ चुकी है, और यह प्रक्रिया 3 साल की मेहनत के बाद पूरी हुई है। काशी के प्रमुख पंचांगों में बीएचयू का विश्वपंचांग, ऋषिकेश, महावीर, गणेश आपा, आदित्य और ठाकुर प्रसाद का पंचांग शामिल हैं। इस बदलाव से सभी पंचांगों में समानता आएगी।

‘एक तिथि, एक त्योहार’ के लागू होने से अब प्रदेश में त्योहारों की तिथियों में होने वाला अंतर समाप्त हो जाएगा। अब चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, नवरात्र, रामनवमी, अक्षय तृतीया, गंगा दशहरा, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, दीपावली, होली समेत सभी प्रमुख पर्वों की तिथियां एक जैसी होंगी। इसके साथ ही व्रतों के समय भी समानता आएगी, जिससे समाज में होने वाला भ्रम दूर होगा।

प्रो. विनय पांडेय का बयान: बीएचयू के ज्योतिष विभाग के प्रो. विनय पांडेय ने कहा, “पंचांगों की एकरूपता से समाज के मध्य होने वाला भ्रम दूर होगा। त्योहारों के निर्धारण में केवल उदया तिथि का ही महत्व नहीं होता है, बल्कि कुछ पर्वों में प्रदोषव्यापिनी या अर्द्धरात्रि का भी महत्व होता है, जिसे अब ध्यान में रखा जाएगा।”

इस नए पंचांग का प्रकाशन 2026 के नवसंवत्सर में किया जाएगा, और इसका प्रकाशन अन्नपूर्णा मठ मंदिर द्वारा किया जाएगा। यह पहला अवसर होगा जब प्रदेश में सभी प्रमुख त्योहारों पर होने वाले मतभेद को समाप्त किया जाएगा

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