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इस साल का पहला सूर्य ग्रहण कल, भारत में असर नहीं लेकिन बरतें ये सावधानियां !

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हरिद्वार: शनिवार को इस साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा और भारत में इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, ज्योतिषीय दृष्टि से यह सूर्य ग्रहण खास माना जा रहा है क्योंकि इस दिन शनि गोचर और शनि अमावस्या भी है। ग्रहण मीन राशि और भाद्रपद नक्षत्र में लगेगा, लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा, जिससे सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।

ज्योतिषाचार्य का कहना है – यह ग्रहण उच्च पदस्थ व्यक्तियों पर असर डाल सकता है

हरिद्वार के ज्योतिष आचार्य मनोज त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि इस सूर्य ग्रहण का भारत में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन यह ग्रहण शनि गोचर के साथ है, जो उच्च पदस्थ व्यक्तियों पर प्रभाव डाल सकता है। उनका कहना है कि ऐसे समय में हादसों की संख्या बढ़ सकती है और सत्ता परिवर्तन के योग भी बन सकते हैं।

सूर्य ग्रहण के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

ग्रहण के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इस बारे में ज्योतिषाचार्य मनोज त्रिपाठी ने विशेष सलाह दी।

ग्रहण के दौरान न करें:

  • देवी-देवताओं की मूर्तियों को न छुएं

  • ग्रहण के दौरान भोजन करने से बचें

  • नींद लेने से बचें

  • गर्भवती महिलाएं घर पर ही रहें

  • अधिक भागदौड़ से बचें

  • किसी भी नकारात्मक स्थान पर जाने से बचें

ग्रहण के दौरान ये करें:

  • मन को शांत रखें

  • भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें

  • ग्रहण के बाद स्नान करें और दान करें

  • ग्रहण के समय जप तप करें और गरीबों को दान करें

सूर्य ग्रहण का समय

पंडित मनोज त्रिपाठी ने बताया कि आंशिक सूर्य ग्रहण का अमेरिकी समयानुसार सुबह 4:50 बजे आरंभ होगा और सुबह 6:47 बजे चरम पर होगा। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण दोपहर 2:20 बजे शुरू होगा और शाम 4:17 बजे अपने चरम पर पहुंचेगा।

सूर्य ग्रहण का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, जिससे सूर्य का कुछ हिस्सा या पूरा हिस्सा चंद्रमा से ढक जाता है। भौतिक विज्ञान के अनुसार, यह घटना सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा के आ जाने से होती है, जिससे सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती और धरती पर छाया पड़ती है।

सूर्य ग्रहण का प्रभाव

यह सूर्य ग्रहण एशिया, अफ्रीका, यूरोप, अटलांटिक महासागर, आर्कटिक, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका में दिखाई देगा, लेकिन भारत में इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। इसलिए यहां सूतक काल नहीं माना जाएगा और मंदिरों को बंद नहीं किया जाएगा।

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