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त्रियुगीनारायण मंदिर का होगा जीर्णोद्धार, संरक्षित किए जायेगें प्राचीन कुंड।
रुद्रप्रयाग- शिव-पार्वती की विवाह स्थली त्रियुगीनारायण को तीर्थाटन डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा। मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ ही यहां यात्री सुविधाएं जुटाई जाएंगी। मंदिर परिसर में मौजूद छोटे-छोटे मंदिर व अन्य धार्मिक धरोहरों का जीर्णोद्धार कर उन्हें संरक्षित किया जाएगा। इसके लिए श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने कार्ययोजना तैयार कर ली है।

समिति प्राचीन मंदिर के साथ ही यहां अन्य छोटे-छोटे मंदिरों का जीर्णोद्धार कर उन्हें संरक्षित करेगी। मुख्य मंदिर की छतरी और झालर का पुनरोद्धार किया जाएगा। साथ ही छत की मरम्मत की जाएगी। इसके अलावा पुजारी निवास के साथ ही यहां मूलभूत सुविधाएं भी दुरुस्त की जाएंगी। मंदिर में यात्री सुविधाओं की बेहतरी के लिए काम होगा। मंदिर समिति के अनुसार, यात्राकाल के साथ-साथ अन्य समय में भी श्रद्धालु मंदिर में पहुंचते रहे, इसे लेकर धार्मिक स्थल को विस्तार देकर सुविधाएं जुटाई जाएंगी।
त्रियुगीनारायण मंदिर में सात कुंड हैं, जिसमें ब्रह्मकुंड, रुद्रकुंड, विष्णुकुंड, सूरज कुंड, सरस्वती कुंड, नारद कुंड और अमृत कुंड है। इन सभी को भी संरक्षित किया जाएगा। खास बात है कि ब्रह्मकुंड, विष्णुकुंड और रुद्रकुंड में जल सरस्वती कुंड से आता है। मान्यता है कि सरस्वती कुंड की स्थापना भगवान विष्णु ने अपनी नाभी से की थी। इस कुंड में स्नान करने से संतान प्राप्ति होती है।