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उत्तराखंड: शिक्षा विभाग की निलंबित बीईओ दमयंती रावत पर एक और कार्रवाई की तैयारी !

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देहरादून: उत्तराखंड के शिक्षा विभाग की निलंबित बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) दमयंती रावत पर अब एक और आरोप लगाया गया है। शिक्षा सचिव रविनाथ रामन ने बताया कि दमयंती पर बिना एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) के दूसरे विभाग में जाने का आरोप है। इस मामले में कार्मिक और वित्त विभाग से परामर्श लिया जा रहा है, जिसके बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। दमयंती रावत पहले बिना एनओसी के बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण अभिकरण की निदेशक बनीं और फिर 2018 में उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की सचिव नियुक्त हो गईं। शिक्षा विभाग से अनुमति न मिलने के कारण तत्कालीन शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने नाराजगी जताई थी, और शिक्षा सचिव भूपिंदर कौर औलख ने जांच के आदेश दिए थे।

वित्तीय अनियमितता के आरोप में निलंबित

कर्मकार बोर्ड में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में दमयंती रावत को हाल ही में निलंबित किया गया। उन पर आरोप है कि उन्होंने 50 करोड़ रुपये का बिना सक्षम प्राधिकार के समझौता अनुबंध पर हस्ताक्षर किया और 20 करोड़ रुपये की राशि ऋण के रूप में देने के बजाय ब्रिज एंड रुफ इंडिया को जारी कर दी।

बर्खास्तगी की हो सकती है कार्रवाई

शिक्षा सचिव ने कहा कि कर्मकार बोर्ड में सचिव के रूप में वित्तीय अनियमितता का मामला गंभीर है, और इस संबंध में दमयंती को आरोप पत्र दिया गया है। इसके बाद उनके खिलाफ बर्खास्तगी तक की कार्रवाई की जा सकती है।

निलंबन में दो साल का समय लगा

दमयंती रावत के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में नवंबर 2022 में कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। हालांकि, उन्हें निलंबित करने में शासन को दो साल का समय लग गया। अमर उजाला ने नवंबर 2022 में इस खबर को प्रमुखता से उठाया था, जिसके बाद उनके निलंबन में देरी हुई।

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जांच समिति की रिपोर्ट और विवाद

2022 में हुई जांच में पाया गया कि दमयंती रावत ने श्रम विभाग में कार्य करते हुए करोड़ों रुपये की धनराशि बिना सक्षम स्तर से अनुमति लिए हस्तांतरित की। उनकी इस कार्रवाई को वित्तीय नियमों का उल्लंघन मानते हुए कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। इस मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी, जिसमें श्रम आयुक्त संजय कुमार, वित्त नियंत्रक मोहम्मद गुलफाम अहमद, और उप निदेशक हरेराम यादव शामिल थे। हालांकि, जांच के बावजूद दमयंती रावत को विभाग में वापसी मिली, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि यह कदम किसने उठाया।

कांग्रेस नेता से करीबी संबंध

दमयंती रावत को कांग्रेस के एक बड़े नेता का करीबी माना जाता है, और यही कारण हो सकता है कि शिक्षा विभाग से एनओसी न मिलने के बावजूद वह श्रम विभाग में काम करती रहीं। यह नेता दो सरकारों और दो शिक्षा मंत्रियों के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप कर उन्हें विभाग में बनाए रखने में सफल रहे।

 

 

 

 

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