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उत्तराखंड: बरसात के बाद टूटा संपर्क, जिला प्रशासन ने 7 दिन में बहाल की सड़क

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देहरादून: देहरादून जनपद के सहसपुर ब्लॉक के सुदूरवर्ती गांव बटोली को आखिरकार राहत मिल गई है। अतिवृष्टि से संपर्क टूटने के बाद महज सात दिनों के भीतर जिला प्रशासन ने गांव को दोबारा सड़क मार्ग से जोड़ दिया है। बरसात थमते ही शुरू हुई प्रशासनिक कार्रवाई ने गांव को फिर से मुख्यधारा से जोड़ दिया…जिससे अब ग्रामीणों का आना-जाना आसान हो गया है।

रातों-रात बना वैकल्पिक मार्ग, महीनों का काम हुआ हफ्तों में

अतिवृष्टि के चलते शेरू खाला का मार्ग पूरी तरह टूट गया था और इलाके में खाईनुमा ढलान बन गया था। आमतौर पर जिसे ठीक करने में महीनों का वक्त लगता…वहां जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में रातों-रात वैकल्पिक रास्ता तैयार किया गया। इसके अलावा तीन महीने तक 24×7 मशीनरी और मैनपावर तैनात कर रास्ता सुचारू रखने का काम भी किया गया।

डीएम का दौरा बना टर्निंग पॉइंट

11 जुलाई को डीएम सविन बंसल ने आपदाग्रस्त बटोली गांव का दौरा किया था। उन्होंने न केवल ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं..बल्कि मौके पर ही समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए।

विद्युत समस्या: जंगलों से गुजर रही बिजली लाइन बार-बार बाधित होती थी। डीएम ने स्थायी समाधान के लिए 2.19 लाख रुपये की राशि स्वीकृत कर युद्धस्तर पर सुधार कार्य शुरू कराया।

पेयजल संकट: पाइपलाइन छोटी होने से गांव में लंबे समय से पानी की दिक्कत थी। इस समस्या के समाधान के लिए 3.79 लाख रुपये की बड़ी पाइपलाइन स्वीकृत की गई।

वित्तीय सहायता: डीएम ने प्रभावित हर परिवार को 4,000 प्रतिमाह की दर से तीन महीने की एडवांस सहायता राशि भी मौके पर ही उपलब्ध कराई।

स्वास्थ्य सेवाओं की भी व्यवस्था

सिर्फ बुनियादी ढांचे पर ही नहीं, प्रशासन ने स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पूरा ध्यान दिया। जिलाधिकारी के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में नियमित स्वास्थ्य शिविर लगाकर गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और ग्रामीणों की स्वास्थ्य जांच, उपचार और टीकाकरण कराया। ANM की टीम गांव में लगातार भ्रमण करती रही।

प्रशासनिक तत्परता बनी ग्रामीणों की ताकत

बटोली गांव के लिए यह कार्यवाही एक मिसाल बन गई है। जहां आमतौर पर राहत और पुनर्वास में समय लगता है…वहां जिला प्रशासन ने दिखाया कि दृढ़ इच्छाशक्ति और त्वरित कार्रवाई से कैसे कठिन परिस्थितियों में भी समाधान निकाला जा सकता है। जिलाधिकारी सविन बंसल की सक्रियता और स्थानीय तंत्र की मेहनत ने बटोली गांव को न केवल आपदा के असर से उबारा, बल्कि उसे भविष्य के लिए भी सशक्त बना दिया।

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