देहरादून – शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने एससीईआरटी सभागार में आयोजित नियुक्तिपत्र वितरण समारोह में जहां 119 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिए, वहीं, चयन के बाद भी नियुक्ति न मिलने से उत्तराखंड की बहुएं नाराज हैं। यूपी, दिल्ली समेत कई दूसरे राज्यों से विवाह के बाद उत्तराखंड आईं शिक्षक भर्ती में चयनित महिलाएं पूरे दिन शिक्षा मंत्री से मिलने का इंतजार करती रहीं, लेकिन मंत्री से मुलाकात न हो पाने पर उन्होंने नाराजगी जताई।
उधर, शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इनके मामले में शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। दिशा निर्देश मिलने के बाद ही नियुक्ति दी जा सकेगी। शिक्षा विभाग में 2906 पदों पर शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। तीन चरणों में इसे लेकर काउंसलिंग के बाद कई अभ्यर्थियों को नियुक्तिपत्र दिए जा चुके हैं। लेकिन एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग की 52 चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति का मामला लटका हुआ है।
इससे नाराज चयनित महिलाओं ने परिजनों के साथ शिक्षा निदेशालय पहुंचकर नाराजगी जताई। महिलाएं परिजनों के साथ सुबह से विभागीय मंत्री के शिक्षा निदेशालय पहुंचने का इंतजार करती रहीं। महिला अभ्यर्थियों ने बताया कि शिक्षा मंत्री ने विभाग की बैठक के बाद उनसे मिलने का आश्वासन दिया था, लेकिन देर शाम मंत्री उनसे मिले बिना चले गए। हालांकि इससे पहले शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान व अपर शिक्षा निदेशक आरएल आर्य ने चयनित महिला अभ्यर्थियों को समझाने का प्रयास किया। शिक्षा महानिदेशक ने कहा, अगले तीन दिन के भीतर इस मसले को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी जाएगी।
चयनित अभ्यर्थियों में सोनम धनगर, दीपशिखा मौर्य, अनुराधा यादव, रोली, पारुल, रीना, जोनी, सिमरन, रेणु, प्रतिभा प्रजापति, सिंधु राठौर, सुमन, अवनी, अंजली, आरजू सैनी, पूजा रानी, रीनू गौतम, प्रियंका कुमारी, रीतू, रीतू सैनी, मधुबाला, मोनिका, सपना सिंह, गीतिका सैनी, मनीषा रानी, शिवानी आदि शामिल रही।
हमारी शादी दूसरे प्रदेशों से उत्तराखंड में हुई है, हम उत्तराखंड के मूल निवासी हैं। हमारा निवास प्रमाणपत्र यही का है। अपने बच्चों का पालन पोषण भी यहीं कर रही हैं। चयन के बाद भी हमें नियुक्तिपत्र न देकर हमारा मानसिक शोषण किया जा रहा है। यदि हमें नियुक्ति नहीं दी जानी थी, तो हमें काउंसलिंग में शामिल क्यों किया गया। जब तक हमें नियुक्तिपत्र नहीं मिलता हम अपने बच्चों के साथ यहीं रहेंगे।
शिक्षा विभाग में कुछ शिक्षामित्रों को 58 तो कुछ को 50 साल की उम्र में शिक्षक के पद पर पक्की नौकरी मिली। उत्तरकाशी के जसवंत सिंह चौहान ने बताया कि 2005 में शिक्षा आचार्य के पद पर तैनाती मिली थी। 2012 में शिक्षा मित्र बना। जबकि अब सहायक अध्यापक के पद पर पक्की नौकरी मिली है। वहीं, उत्तरकाशी के जीवन सिंह रावत को 50 साल की उम्र में पक्की नौकरी मिली। रावत के मुताबिक 2004 में शिक्षा मित्र और 2011 में शिक्षा आचार्य बने थे।
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