Pithauragarh
उत्तराखंड: पिथौरागढ़ में चट्टान के भीतर मिली सुरंग, क्या है इस रहस्यमय स्थल का सच ?
पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ जिले के थल-मुवानी के गोबराड़ी गांव से एक किलोमीटर दूरी पर नदी से लगे 400 मीटर ऊंची चट्टान पर एक अद्भुत सुरंग मिली है। इस सुरंग के अंदर दो अलग-अलग सुरंगें पाई गई हैं, जो पुरातत्व विभाग के लिए जांच का विषय बन गई हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, उनके पूर्वजों से उन्हें यह जानकारी थी कि इस क्षेत्र में सुरंगें मौजूद हैं। इस जानकारी को संवाददाता तक पहुंचाने के बाद, काफल हिल के संस्थापक तरुण महरा अपनी टीम के साथ गोबराड़ी पहुंचे। वहां, रतन राम और मोहन सिंह कन्याल के साथ उन्होंने चट्टान पर स्थित सुरंग का निरीक्षण किया। उन्हें सुरंग के पास एक किले के रूप में बड़े मकान के खंडहर और करीब 30 से 35 छोटे मकानों के अवशेष भी मिले।
तरुण महरा और उनकी टीम ने सुरंग के भीतर प्रवेश करने के लिए चार फुट गोलाई के मुहाने का उपयोग किया और टॉर्च, कैमरा तथा रस्सी के सहारे सुरंग में उतर गए। उन्होंने पाया कि सुरंग को छेनी और सब्बल से काटकर बनाया गया है। दोनों सुरंगों के रास्ते लगभग 100 मीटर नीचे तक जाते हैं, लेकिन आगे जाने के लिए रास्ते को पत्थरों से बंद किया गया था। जब टीम ने पत्थर हटाने की कोशिश की तो नीचे से भाप जैसा धुआं उठने लगा।
ग्रामीणों का कहना है कि बंद सुरंग के एक ओर महल और शिवालय को जाने का रास्ता है, जबकि दूसरी सुरंग नदी की ओर जाती है। इन अवशेषों की दीवारों की संरचना से यह संकेत मिलता है कि यहां कभी किला हो सकता है, जिसे कत्यूरी और चंद राजाओं के शासन काल से जोड़ा जा रहा है।
तरुण महरा ने इस महत्वपूर्ण खोज की जानकारी कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत और डीएम विनोद गोस्वामी को दी है। उनके साथ इस खोज में मानस महरा, यश बाफिला, अजय जोशी, मोहित कुमार, गणेश बृजवाल भी मौजूद रहे। तरुण महरा इससे पहले भी प्रागैतिहासिक कालीन गुफा और विशेष प्रजाति की मकड़ी की खोज कर चुके हैं।
पुरातत्व प्रभारी डॉ. चंद्र सिंह ने कहा कि सुरंग और भवनों के अवशेष मिलने के आधार पर यह संभावना जताई जा रही है कि यहां कभी कोट मौजूद हो सकता है। वे शीघ्र ही गोबराड़ी में मिली सुरंगों का निरीक्षण करेंगे, और निरीक्षण के बाद ही इस बारे में कुछ ठोस कहा जा सकेगा।
#Pithoragarh, #TunnelDiscovery, #MysteriousCave, #RockFormation, #AncientRelics