देहरादून – 22 फरवरी को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। धरती 70 फीसदी पानी से घिरी है, जिसमें से पीने योग्य पानी लगभग 3 फीसदी ही है। भारत में पीने वाले पानी की मांग अधिक है लेकिन पूर्ति संकट बढ़ रहा है। 1.4 अरब से अधिक की आबादी के बावजूद भारत के पास दुनिया के ताजे जल संसाधन का केवल 4 प्रतिशत ही है।
विकास के लिए तेजी से बढ़ रही फैक्ट्रियां और जनसंख्या के कारण जो पानी के सीमित संसाधन है, उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जाने अनजाने पानी की बर्बादी और जल प्रदूषण के कारण लोग पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। वहीं प्रदूषित जल स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।
इसलिए जल प्रदूषण को रोककर और पानी को बर्बाद होने से बचाकर कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। विश्व जल दिवस के मौके पर कुछ आसान तरीकों से ये पता लगा सकते हैं कि जो पानी आप पीते हैं, वह कितना शुद्ध है, यानी पीने वाली पानी की गुणवत्ता की जांच घर पर ही आसानी से की जा सकती है।
एक कांच के गिलास में पानी लेकर उसका रंग देखें। अगर जल का रंग पीला या भूरा हो या उसमें किसी तरह के कण नजर आ रहे हैं तो समझ जाएं कि पानी लो क्वालिटी का है। अगर घर पर वाॅटर फिल्टर लगा हुआ है, और उससे भी ऐसा ही पानी आ रहा है तो हो सकता है कि वाॅटर फिल्टर को सर्विसिंग की जरूरत हो।
पानी के रंग के साथ ही पीने वाले पानी में कितनी पारदर्शिता है, ये भी जल की गुणवत्ता बताता है। पानी का रंग अलग है या किसी तरह के पार्टिकल्स हैं तो पानी धुंधला नजर आएगा। पानी में मिट्टी के कण होंगे तो भी वह धुंधला दिखता है। ऐसा जल पीने योग्य नहीं होता है।
अगर पानी में किसी तरह की महक आ रही है तो भी पानी अशुद्ध हो सकता है। कई बार जिस बर्तन में आप पानी पीते हैं, वह सही से धुला नहीं होता, या किसी तरह की गंध पहले से पानी में घुल गई होती है, इसलिए पानी से महक आने लगती है। इसलिए हमेशा साफ बर्तन में ही पानी रखें।
पानी का स्वाद
पीने वाले पानी के स्वाद पर भी उसकी गुणवत्ता निर्भर करती है। लेकिन अगर पानी कड़वा लगे तो उसे न पीएं। पानी में धातु जैसा स्वाद आए तो हो सकता है कि धात्विक अशुद्धियां जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम घुला हो। पानी में ब्लीच का स्वाद आ रहा है तो हो सकता है कि क्लोरीन मिली हो। पानी नमकीन लगे तो सल्फेट की मौजदूगी हो सकती है।
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पानी का बर्तन
जिस बर्तन में पानी स्टोर करते हैं या पीते हैं, उसकी जांच भी करें। कई बार पानी में मौजूद अशुद्धियों के कारण बर्तन का रंग बदल जाता है। पानी निकालने का जो स्त्रोत है, जैसे नल या पाइप उसका भी रंग बदल सकता है। ऐसा पानी बिना फिल्टर किए कभी न पीएं।