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अल्मोड़ा: बिनसर हादसे में मारे गए चारों कर्मियों के घर सांत्वना देनी पहुंची मंत्री रेखा आर्या, परिजनों ने भावुक कर देने वाली कही बात।

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अल्मोड़ा – 20 साल तक मेरे पति जंगलों की आग बुझाते रहे, कभी अपने काम में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन आज उसी जंगल की आग के कारण मेरे परिवार का सहारा ही नहीं गया, बल्कि मेरा पूरा परिवार टूट कर रह गया है। इसलिए अब कभी मेरे बच्चे जंगल नहीं जाएंगे, यह बात कही बिनसर में वनाग्नि की चपेट में आकर मारे गए वन कर्मी दीवार राम की पत्नी प्रेमा देवी ने। उसने कहा कि अब आग का नाम सुनते ही वह सिहर उठती है। ऐसे में वह अपने बच्चों को फिर से जंगल की आग बुझाने के लिए कैसे भेज सकती हैं।

बिनसर वनाग्नि की घटना में हताहत हुए सौड़ा गांव निवासी दैनिक श्रमिक दीवान राम की पत्नी प्रेमा देवी की टूटी फूटी हिंदी के शब्दों में भरा यह दर्द तब फूट पड़ा जब सोमवार को कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या उन्हें सांत्वना देने उनके घर पहुंची। कैबिनेट मंत्री ने उनके घर पहुंचकर उनके परिवार के बारे में जानकारी ली तो प्रेमा ने बताया कि उनके तीन बच्चे हैं जो पढ़ाई कर रहे हैं। दीवान पिछले बीस साल से दैनिक श्रमिक के रूप में वन विभाग में काम कर रहे थे और जैसे तैसे उनके घर का गुजारा चल रहा था। कम तनख्वाह में वह दोनों अपने तीन बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर सरकारी नौकरी में भेजने का सपना संजोए थे, लेकिन उनका यह सपना दीवान की मौत के साथ ही तार-तार हो गया। इतना कहकर प्रेमा भावुक हो गई और उसकी आंखें नम हो गई। कमरे में सन्नाटा सा पसर गया।

वन विभाग के अधिकारियों ने उनके बड़े बेटे के वयस्क होने पर उसे पिता की जगह नौकरी देने की बात कही तो प्रेमा का चेहरा तमतमा गया और वह बोल पड़ी मेरे घर का सहारा चला गया। जंगल की आग में उसने अपना पति खो दिया। ऐसे में अब मेरे बच्चे जंगल नहीं जाएंगे। अधिकारियों को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने माहौल को बदलने की कोशिश शुरु कर दी। अधिकारियों ने प्रेमा को उनके बच्चों की पढ़ाई और बड़े बेटे को भीमताल के किसी संस्थान से बीबीए अथवा अन्य कोई रोजगारपरक कोर्स कराने का आश्वासन दिया। हालांकि प्रेमा का बड़ा बेटा अभी हाईस्कूल का छात्र है और अधिकारियों के आश्वासनों को पंख लगने में दो साल बाकी हैं। काफी देर तक प्रेमा के घर में आश्वासनों और सांत्वना का यह सिलसिला चलता रहा और फिर कैबिनेट मंत्री ने अगले गांव का रूख किया। प्रेमा के घर में फिर सन्नाटा पसर गया और वह मन ही मन यह सोचने लगी कि क्या उसके टूट चुके सपने फिर से जुड़ पाएंगे या नहीं।

हमने अपनों को खो दिया, अब पैसों का क्या करेंगे

सोमवार को कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या बिनसर हादसे में मारे गए चारों कर्मियों के घर परिजनों को सांत्वना देने पहुंची। इस दौरान उन्होंने मृतकों के परिजनों को आर्थिक मदद के चेक वितरित किए। इस दौरान मृतक के परिजन अपने परिवार के खोए हुए सदस्यों को याद कर भावुक हो गए और बोले हमने अपनों को खो दिया है अब हम इन पैसों का क्या करेंगे। जिंदगी रहती तो शायद इससे ज्यादा भी कमा लेते। परिजनों की मौत तो जिंदगी भर का दर्द दे गई है। आखिर इसे कैसे भुला सकते हैं। परिजनों की इन बातों से वहां मौजूद हर कोई शख्स भावुक हो उठा।

 

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