नैनीताल: फरवरी की अंतिम रात एक दुर्लभ खगोलीय घटना देखने को मिलेगी, जब हमारे सौर परिवार के सातों ग्रह आकाश में संरेखित हो जाएंगे। इस अद्भुत दृश्य को खगोल विज्ञान में “ग्रह संरेखण” कहा गया है। यह संयोग अगले एक दशक तक नहीं होगा, इसलिए इसे देखने का यह एक अनूठा अवसर है।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डॉक्टर शशिभूषण पांडेय के अनुसार, जनवरी से ग्रहों का संरेखण दिखने लगा था, जिसे “प्लैनेट परेड” का नाम दिया गया था। 28 फरवरी को यह परेड समाप्त होगी, और उस दिन शाम को सूर्यास्त के बाद शनि, बुध, नेपच्यून, वीनस, यूरेनस, बृहस्पति और मंगल आकाश में संरेखित रूप में नजर आएंगे।
इन सात ग्रहों में से बुध, शुक्र, बृहस्पति और मंगल को नग्न आंखों से आसानी से देखा जा सकेगा, जबकि यूरेनस और नेपच्यून को देखने के लिए छोटी दूरबीन की मदद लेनी होगी। शनि ग्रह को देख पाना थोड़ा कठिन होगा, क्योंकि वह सूर्य के बेहद करीब होगा।
इस खगोलीय घटना में, लाल ग्रह मंगल की चमक -0.4 मैग्नीट्यूड के साथ आकाश में नक्षत्र मिथुन में दक्षिणी क्षितिज के ऊपर दिखाई देगी। बृहस्पति 2.3 मैग्नीट्यूड की चमक के साथ दिखाई देगा, जो शुक्र के बाद दूसरा सबसे चमकीला ग्रह होगा। मेष राशि में यूरेनस 5.8 मैग्नीट्यूड की चमक के साथ धुंधला होगा और उसे केवल दूरबीन से देखा जा सकेगा। नेपच्यून 7.8 मैग्नीट्यूड की चमक के साथ होगा और उसे भी दूरबीन से देखा जा सकेगा।
बुध -1.3 और शुक्र -3.9 मैग्नीट्यूड चमक के साथ नजर आएंगे, जबकि शनि 0.6 मैग्नीट्यूट की चमक के साथ आकाश में स्थित होगा।
यह खगोलीय घटना खगोल विज्ञान के प्रति रुचि रखने वालों के लिए एक विशेष अवसर होगा, क्योंकि इसे देखने से ग्रहों की गतिविधियों और उनके आपसी संबंधों का अध्ययन किया जा सकेगा। डॉक्टर पांडेय के अनुसार, यह खगोल विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक अद्भुत अवसर होगा और इससे विज्ञानियों को ग्रहों के चाल और दिशा पर अध्ययन करने का मौका मिलेगा।
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