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प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में ‘नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन’ की मंजूरी, भारत को मिलेगा खनिज आत्मनिर्भरता का लाभ….

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दिल्ली : भारत सरकार ने देश के महत्वपूर्ण मिनरलों की खोज, खनन और प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए 34,300 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ‘नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन’ को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस मिशन के शुभारंभ को मंजूरी दी, जो आत्मनिर्भर भारत पहल का एक अहम हिस्सा है।

इस मिशन का उद्देश्य क्लीन एनर्जी, हाई एडवांस इंडस्ट्रिज और डिफेंस जैसे क्षेत्रों में जरूरी मिनरलों की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। इसके तहत देश के भीतर और अपतटीय क्षेत्रों में मिनरलों की खोज, खनन, प्रसंस्करण और लाभकारी गतिविधियां की जाएंगी।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा, “विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से आने वाली पीढ़ी के लिए नए अवसर उत्पन्न किए जाएंगे। इस मिशन से न केवल मिनरल्स की आपूर्ति बढ़ेगी, बल्कि यह किसानों और अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद साबित होगा।” उन्होंने इस मौके पर गन्ने से बनने वाले एथनॉल की कीमत में बढ़ोतरी का भी उल्लेख किया और कहा कि इस कदम से किसानों को लाभ होगा।

किसानों के लिए लाभकारी योजनाएं
इस अवसर पर कैबिनेट ने गन्ने से बनने वाले एथनॉल की कीमत में बढ़ोतरी की भी मंजूरी दी। ‘सी’ श्रेणी के शीरा से बने एथनॉल की कीमत 56.28 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 57.97 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है। यह निर्णय किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि इससे गन्ने के उत्पाद का अधिकतम उपयोग इथेनॉल उत्पादन में होगा, जो पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है।

निवेश और वित्तीय मदद
इस मिशन के लिए कुल 16,300 करोड़ रुपये का सरकारी खर्च और 18,000 करोड़ रुपये का निवेश पब्लिक अंडरटेकिंग और निजी क्षेत्र से आने की योजना है। यह मिशन मिनरल परियोजनाओं के लिए फास्ट ट्रैक रेगुलेटरी अप्रूवल की प्रक्रिया शुरू करेगा और वित्तीय मदद भी उपलब्ध कराएगा।

विदेशी मिनरल संपत्ति का अधिग्रहण
मिशन भारतीय पब्लिक अंडरटेकिंग्स और निजी कंपनियों को विदेशों में मिनरल संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए प्रोत्साहित करेगा, ताकि भारत के लिए आवश्यक मिनरलों की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। इसके साथ ही, मिनरल प्रोसेसिंग पार्कों की स्थापना और रीसाइक्लिंग को भी बढ़ावा दिया जाएगा।

 

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