हरिद्वार: बैसाखी का पावन पर्व इस वर्ष भी हरिद्वार में पूरे श्रद्धा, उल्लास और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। हर की पैड़ी समेत समस्त गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुगण मां गंगा में पवित्र स्नान कर पूजन और दान करके पुण्य अर्जित कर रहे हैं।
बैसाखी का पर्व न केवल कृषि से जुड़ा है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन से गेहूं की फसल की कटाई शुरू होती है, जिसे किसान अपनी मेहनत का फल मानते हैं। साथ ही, इतिहास में इसी दिन 1699 में दसवें सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी, जिससे यह पर्व सिख समुदाय के लिए और भी विशेष बन जाता है।
हरिद्वार में गंगा स्नान का विशेष महत्व है। बैसाख मास को संपूर्ण पुण्यदायी माना गया है। पंडित मनोज त्रिपाठी के अनुसार, “प्रतिपदा से अमावस्या तक बैसाख मास में किसी भी तीर्थ पर स्नान से महान पुण्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से बैसाख संक्रांति पर स्नान और दान से समस्त पापों का क्षय होता है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।”
श्रद्धालुओं का मानना है कि मां गंगा में स्नान करने से न केवल शारीरिक बल्कि आत्मिक शुद्धि भी होती है। जो लोग हरिद्वार नहीं आ सकते, उनके लिए भी पंडित त्रिपाठी ने बताया कि अपने घर पर जल में तुलसी पत्र डालकर मां गंगा का ध्यान कर स्नान करने से भी हर की पैड़ी पर स्नान का पुण्यफल प्राप्त होता है।
सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम: श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने भी पुख्ता इंतजाम किए हैं। मेला क्षेत्र को 4 सुपर जोन, 14 जोन और 40 सेक्टरों में बांटकर व्यापक सुरक्षा बल तैनात किया गया है, जिससे श्रद्धालुओं को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े।
हरिद्वार में बैसाखी पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह सांस्कृतिक एकता और परंपराओं का भी प्रतीक है। मां गंगा के पावन तट पर उमड़ती यह भीड़ इस बात का प्रमाण है कि आस्था और विश्वास का संगम हरिद्वार को विशेष बनाता है।