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जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों से हिमालयी जैव विविधता खतरे में

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Inderkilla National Park में पौधों की 552 प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर

कुमाऊँ विश्वविद्यालय के शोधार्थी सुनील दत्त ने वर्ष 2017 से अब तक हिमाचल के कुल्लू में स्थित Inderkilla National Park पर विस्तृत अध्ययन किया। शोध में सामने आया कि जलवायु परिवर्तन, बढ़ता पर्यटन दबाव, अत्यधिक चराई और अन्य मानवीय कारणों के चलते Inderkilla National Park endangered plants की संख्या लगातार बढ़ रही है। उत्तर-पश्चिमी हिमालय में स्थित यह राष्ट्रीय उद्यान अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है, लेकिन अब यहां की कई पौध प्रजातियां गंभीर संकट में पहुंच चुकी हैं।

552 पौध प्रजातियों में कई संकट की श्रेणी में

शोध के अनुसार इंदर किला राष्ट्रीय उद्यान में कुल 552 पौध प्रजातियां दर्ज की गई हैं। इनमें से छह प्रजातियां अत्यंत संकटग्रस्त, 24 प्रजातियां संकटग्रस्त और 42 प्रजातियां संवेदनशील श्रेणी में पाई गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते संरक्षण के प्रभावी उपाय नहीं किए गए, तो Inderkilla National Park endangered plants का अस्तित्व आने वाले वर्षों में और अधिक खतरे में पड़ सकता है।

कुमाऊं विश्वविद्यालय के शोधार्थी का विस्तृत अध्ययन

कुल्लू जिले में स्थित इंदर किला राष्ट्रीय उद्यान पर कुमाऊं विश्वविद्यालय के शोधार्थी सुनील दत्त ने वर्ष 2017 से अब तक विस्तृत अध्ययन किया। इस दौरान उन्होंने 552 पौध प्रजातियों का वैज्ञानिक दस्तावेजीकरण किया। अध्ययन में यह भी सामने आया कि इनमें से लगभग 49 प्रतिशत प्रजातियां औषधीय महत्व रखती हैं, जिनका उपयोग स्थानीय समुदाय पारंपरिक उपचार पद्धतियों में करते हैं।

औषधीय पौधों की घटती उपलब्धता चिंता का विषय

शोध में यह स्पष्ट हुआ है कि औषधीय पौधों की उपलब्धता में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। अवैध संग्रहण, अत्यधिक दोहन और आवास विखंडन के कारण Inderkilla National Park endangered plants पर सीधा असर पड़ा है। हालांकि कई स्थानीय समुदाय अब भी इन पौधों पर निर्भर हैं, लेकिन संसाधनों का संतुलित उपयोग नहीं हो पा रहा है।

ये हैं प्रमुख संकटग्रस्त प्रजातियां

अध्ययन में जिन उच्च हिमालयी प्रजातियों को संकटग्रस्त या अत्यंत संकटग्रस्त श्रेणी में रखा गया है, उनमें हाइमेनिडियम डेंसिफ्लोरम, सॉस्यूरिया गॉसिपिफोरा, फ्रिटिलारिया सिरोसा, डैक्टिलोरिज़ा हेटागिरिया, एंजेलिका ग्लौका, सॉस्यूरिया ओब्वालाटा, पोडोफाइलम हेक्सांद्रम, ट्रिलियम गोवनियानम और लिलियम पॉलीफाइलम जैसी महत्वपूर्ण औषधीय प्रजातियां शामिल हैं।

घरेलू, धार्मिक और पारंपरिक उपयोग में अहम भूमिका

शोध के अनुसार यहां पाई जाने वाली 70 प्रजातियां चारे के रूप में, 73 खाद्य उपयोग में, 36 धार्मिक व पवित्र कार्यों में और 20 शोभाकार पौधों के रूप में प्रयुक्त होती हैं। इसके अलावा 17 प्रजातियां घरेलू उपयोग, 11 ईंधन और 15 रंग निर्माण में काम आती हैं। इससे स्पष्ट होता है कि Inderkilla National Park endangered plants केवल पर्यावरण ही नहीं, बल्कि स्थानीय जीवनशैली से भी गहराई से जुड़ी हैं।

पारंपरिक चिकित्सा और सांस्कृतिक महत्व

अध्ययन में यह भी सामने आया कि 32 प्रजातियां पशु-चिकित्सा में और 20 प्रजातियां वेक्टर-जनित रोगों के पारंपरिक उपचार में उपयोग की जाती हैं। वहीं 15 प्रजातियां बौद्ध और खंपा समुदायों के धार्मिक अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जबकि 11 प्रजातियां धूप और सुगंध निर्माण में प्रयुक्त होती हैं।

जलवायु परिवर्तन बना सबसे बड़ा कारण

स्थानीय लोगों से किए गए सर्वे में जलवायु परिवर्तन को संकट का सबसे बड़ा कारण बताया गया।

  • 100% लोगों ने मौसम में अस्थिरता बढ़ने की बात कही
  • 98% ने वर्षा में कमी
  • 94% ने हिमपात में गिरावट
  • 89% ने बढ़ती गर्मी
  • 93% ने शीतकाल के छोटा होने
  • 97% ने वर्षा वाले दिनों की संख्या घटने
  • 63% ने ओलावृष्टि की घटनाओं में वृद्धि की पुष्टि की


संरक्षण के बिना भविष्य संकट में

विशेषज्ञों का मानना है कि समुदाय आधारित निगरानी, औषधीय पौधों के सतत उपयोग के मॉडल और प्रजाति-विशिष्ट संरक्षण योजनाएं अपनाए बिना Inderkilla National Park endangered plants को बचाना संभव नहीं होगा। समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर और अपूरणीय क्षति हो सकती है।

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