देहरादून : जिलाधिकारी सविन बसंल की अध्यक्षता में आज ऋषिपर्णा सभागार, कलेक्ट्रेट में जिला वनाग्नि सुरक्षा समिति की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में वनाग्नि की घटनाओं पर नियंत्रण और इसके रोकथाम हेतु प्रभावी कदम उठाने पर चर्चा की गई।
जिलाधिकारी सविन बसंल ने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम में वन पंचायतों और स्थानीय निवासियों की अहम भूमिका होती है। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को 20 फरवरी तक वन पंचायतों का गठन करने के निर्देश दिए और उप जिलाधिकारी गौरव चटवाल को नोडल अधिकारी नियुक्त किया। जिलाधिकारी ने बताया कि वन पंचायतों को हर संभव वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि वे प्रभावी रूप से कार्य कर सकें।
उन्होंने अपने पिछले अनुभव का हवाला देते हुए कहा कि जब वह नैनीताल में जिलाधिकारी थे, तब वन पंचायतों की सक्रियता और जनमानस के सहयोग से वनाग्नि की घटनाओं पर काबू पाया गया था। जिलाधिकारी ने इस बार भी स्थानीय स्तर पर हैंड्स बढ़ाने के लिए जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि फायर सीजन के दौरान सिविल फॉरेस्ट की आग को गंभीरता से लेना चाहिए। इसके लिए राजस्व और वन विभाग को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि वन विभाग 15 फरवरी से 24×7 आपदा कन्ट्रोलरूम की ड्यूटी शुरू करेगा, ताकि सूचनाओं का त्वरित आदान-प्रदान किया जा सके।
बैठक में प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम के लिए जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है और इसके लिए “फारेस्ट फायर उत्तराखण्ड” नामक एक मोबाइल एप्प भी लॉन्च किया गया है, जिस पर लोग वनाग्नि की सूचना दे सकते हैं।
समिति के सदस्य पदमश्री डॉ. कल्याण सिंह रावत ने ग्रामीण और स्कूल स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का सुझाव दिया, ताकि जनमानस को जल और जंगल से जोड़ा जा सके। वहीं पर्यावरणविद विनोद प्रसाद जुगलान ने कहा कि वन क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले बाहरी व्यक्तियों का सत्यापन किया जाना चाहिए।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह, प्रभागीय वनाधिकारी नीरज कुमार, अपर जिलाधिकारी प्रशासन जयभारत सिंह, उप निदेशक राजाजी महातिम, उप जिलाधिकारी गौरव चटवाल, अधीक्षण अभियंता लोनिवि जितेन्द्र कुमार त्रिपाठी सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
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